
विदेश डेस्क, वेरोनिका राय |
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी का हाल ही में हुआ भारत दौरा एक बार फिर से दक्षिण एशिया की राजनीति का केंद्र बन गया है। इस दौरे के दौरान भारत और अफगानिस्तान के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई; जिसमें आतंकवाद, क्षेत्रीय शांति, और आर्थिक सहयोग शामिल रहे। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा उस बयान की रही जिसमें दोनों देशों ने जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया। इस पर पाकिस्तान ने कड़ी आपत्ति जताई और अपनी नाराजगी जाहिर की।
पाकिस्तान को नहीं रास आया साझा बयान
भारत और अफगानिस्तान की वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में जम्मू-कश्मीर का उल्लेख भारत के हिस्से के रूप में किया गया था। यह बात पाकिस्तान को बेहद नागवार गुजरी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अफगानिस्तान का यह कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों का उल्लंघन है। इस्लामाबाद ने कहा कि कश्मीर को लेकर भारत की नीति का समर्थन करना “क्षेत्रीय शांति के खिलाफ” है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “अफगानिस्तान को भारत के बयानों का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के खिलाफ है।”
पहलगाम हमले की निंदा से भड़का पाकिस्तान
दरअसल, अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने भारत यात्रा के दौरान 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की सख्त निंदा की थी। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान किसी भी तरह की हिंसा या आतंक के पक्ष में नहीं है और ऐसी घटनाओं की खुलकर निंदा करता है।
भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस रुख के लिए अफगानी समकक्ष का आभार जताया और कहा कि भारत और अफगानिस्तान दोनों ही आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं, इसलिए मिलकर इसे खत्म करने की जरूरत है।
लेकिन पाकिस्तान को अफगानी विदेश मंत्री का यह बयान रास नहीं आया। इस्लामाबाद ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अफगानिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर “दूसरों पर आरोप लगाने” से पहले अपनी जमीन पर सक्रिय आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को सुनाई खरी-खोटी
पाकिस्तान की इस टिप्पणी पर मुत्तकी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में हो रहे धमाकों और अस्थिरता के लिए खुद जिम्मेदार है। मुत्तकी ने कहा, “पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपने घर की समस्याओं को सुलझाए। अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी के खिलाफ आतंक फैलाने के लिए नहीं किया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि अफगानिस्तान अब 40 सालों के संघर्ष के बाद शांति और विकास की राह पर बढ़ रहा है। मुत्तकी ने यह भी कहा कि अफगान सरकार किसी को भी अपने देश की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने के लिए नहीं करने देगी।
भारत-अफगान रिश्तों में नई शुरुआत
ध्यान देने योग्य बात यह है कि 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता में आने के बाद यह पहली बार था जब अफगान विदेश मंत्री ने भारत का दौरा किया। यह मुलाकात दोनों देशों के रिश्तों में नई शुरुआत के तौर पर देखी जा रही है। भारत ने पहले भी अफगानिस्तान को मानवीय मदद, खाद्य सामग्री और दवाइयों के रूप में सहायता दी है।
जयशंकर और मुत्तकी की बातचीत में क्षेत्रीय स्थिरता, आतंकवाद से निपटने के उपाय, और आर्थिक सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। मुत्तकी ने भारत को भरोसा दिलाया कि अफगानिस्तान आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है और किसी भी देश के खिलाफ अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं होने देगा।
भारत और अफगानिस्तान के बीच यह मुलाकात न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम है, बल्कि यह भी दिखाती है कि दक्षिण एशिया में पाकिस्तान की अलग-थलग स्थिति और स्पष्ट हो रही है।
जहां एक ओर अफगानिस्तान भारत के साथ शांति और सहयोग के रिश्ते बनाने की कोशिश कर रहा है, वहीं पाकिस्तान पुराने आरोपों और कटु बयानों में उलझा हुआ है।
मुत्तकी के इस दौरे ने एक बात साफ कर दी है; अब अफगानिस्तान आतंकवाद को नहीं, बल्कि विकास और स्थिरता को प्राथमिकता दे रहा है, और यह बात पाकिस्तान को बिल्कुल हज़म नहीं हो रही।