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स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
अयोध्या में मुस्लिम युवक ने अपनाया सनातन धर्म, बना कृष्णा यादव: कहा- 'धर्म आत्मा की पुकार है, जाति का बंधन नहीं'
उत्तर प्रदेश के पावन नगरी अयोध्या से एक दिलचस्प और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण घटना सामने आई है। यहां एक मुस्लिम युवक ने स्वेच्छा से सनातन हिंदू धर्म को अपना लिया है। इस युवक ने मंदिर में वैदिक रीति-रिवाजों के साथ धर्म परिवर्तन किया और अब वह ‘कृष्णा यादव’ नाम से पहचाना जाएगा। धर्म परिवर्तन के इस मौके पर मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न हुए, जिसमें स्थानीय संतों और श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
जानकारी के अनुसार, यह युवक अयोध्या के थाना कैंट क्षेत्र अंतर्गत करमअली का पुरवा में किराए के मकान में रह रहा था। वह अयोध्या में ही एक मिठाई की दुकान पर काम करता है। उसके माता-पिता का निधन पहले ही हो चुका है, और उसकी बहन शबनम रायपुर रोड स्थित कोटसराय क्षेत्र में रहती है।
युवक ने स्वयं बताया कि लंबे समय से उसका झुकाव सनातन धर्म की ओर था। उसे हिंदू धर्म की पूजा-पद्धति, संस्कृति और परंपराओं में गहरी रुचि थी। मंदिरों में होने वाली आरती, धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या और पूजा-पाठ की विधि ने उसके मन को गहराई से प्रभावित किया। कृष्णा यादव का कहना है कि उन्होंने किसी दबाव में नहीं, बल्कि अपनी श्रद्धा और आत्मिक संतोष के लिए यह कदम उठाया है।
धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया अयोध्या के भरतकुंड क्षेत्र स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर में सम्पन्न हुई। इस दौरान वहां के महंत परमात्मा दास सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे। महंत परमात्मा दास ने विधिपूर्वक यज्ञ, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के साथ कृष्णा यादव को दीक्षा दी। इस अवसर पर उन्हें हनुमान चालीसा भेंट की गई और प्रसाद भी वितरित किया गया।
महंत परमात्मा दास ने इस अवसर पर कहा, "धर्म किसी जाति, संप्रदाय या समुदाय की सीमा में नहीं बंधा होता। यह आत्मा की पुकार होती है, और जो सच्चे मन से धर्म को अपनाता है, वही उसका सच्चा अनुयायी होता है। कृष्णा ने जिस श्रद्धा से सनातन धर्म को अपनाया है, वह समाज के लिए प्रेरणादायक है।"
कृष्णा यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं अब पूरी तरह सनातन धर्म के अनुसार जीवन जीऊंगा। मंदिर में पूजा-पाठ करूंगा, धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करूंगा और समाज सेवा में जुटूंगा।” उन्होंने यह भी बताया कि धर्म परिवर्तन के बाद उन्हें किसी प्रकार की सामाजिक या पारिवारिक प्रताड़ना का डर नहीं है, क्योंकि यह उनका व्यक्तिगत और आत्मिक निर्णय है।
यह घटना न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आज के समाज में व्यक्ति अपने आस्था और विश्वास के आधार पर जीवन जीने का अधिकार रखता है। अयोध्या जैसी धार्मिक नगरी में इस प्रकार का शांतिपूर्ण और समर्पित रूप से किया गया धर्म परिवर्तन एक सामाजिक संदेश भी देता है कि धर्म का मूल उद्देश्य प्रेम, श्रद्धा और आत्मा की शांति है, न कि बंटवारा।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब देश में धर्म परिवर्तन को लेकर कई बार विवाद खड़े होते हैं, मगर अयोध्या की यह घटना बताती है कि श्रद्धा यदि सच्ची हो, तो हर धर्म का द्वार खुला होता है।