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कश्मीर में डर का माहौल अब बीते कल की बात: फारूक अब्दुल्ला

श्रीनगर, वेरोनिका राय

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि घाटी में अब पहले जैसा डर का माहौल नहीं रहा। उन्होंने कहा कि लोग अब स्वतंत्रता और आत्मविश्वास के साथ जीवन जी रहे हैं और कश्मीर सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है।

श्रीनगर में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. अब्दुल्ला ने कहा, “अब वह डर नहीं रहा जो कभी यहां की पहचान बन गया था। बाजार खुले हैं, बच्चे स्कूल जा रहे हैं, लोग बेझिझक बोल रहे हैं। यह बदलाव स्वागत योग्य है।”

सुरक्षा व्यवस्था में सुधार के सकारात्मक नतीजे

बीते वर्षों में सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती और रणनीतिक अभियानों के चलते घाटी में आतंकवादी गतिविधियों में भारी गिरावट आई है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2018 की तुलना में 2024 तक आतंक संबंधी घटनाओं में करीब 70 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है।

पर्यटन और रोजगार को मिला बढ़ावा

शांति के इस माहौल का सकारात्मक असर पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। 2023 में जम्मू-कश्मीर में रिकॉर्ड 1.88 करोड़ पर्यटक पहुंचे। यह राज्य के पर्यटन इतिहास की सबसे बड़ी संख्या है। इससे होटल, टैक्सी, हस्तशिल्प और खाद्य उद्योग जैसे क्षेत्रों को काफी लाभ हुआ है।

शिक्षा और दैनिक जीवन में लौट रही सामान्यता

घाटी के स्कूलों और कॉलेजों में अब नियमित पढ़ाई हो रही है। पहले जहां बंद, विरोध प्रदर्शन और अनिश्चितता के कारण शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित रहती थीं, अब छात्र-छात्राएं सामान्य रूप से स्कूल जा रहे हैं। बाजारों में चहल-पहल बढ़ी है और रात को भी व्यापारिक गतिविधियां देखी जा सकती हैं।

जनता के भीतर बढ़ा आत्मविश्वास

स्थानीय लोग भी इस बदलाव को महसूस कर रहे हैं। बारामुला के निवासी इमरान डार कहते हैं, “पहले हर कदम डर के साथ उठता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। सुरक्षा बलों की मौजूदगी अब डर नहीं, सुरक्षा का संकेत बन गई है।”

राजनीतिक संकेत भी साफ

फारूक अब्दुल्ला का यह बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में विकास, रोजगार और निवेश को लेकर सक्रिय है। इसे राजनीतिक हलकों में बदलती ज़मीन और बढ़ते आत्मविश्वास का प्रतीक माना जा रहा है।
फारूक अब्दुल्ला का यह बयान स्पष्ट रूप से बताता है कि कश्मीर अब डर की नहीं, उम्मीदों की जमीन बन रहा है। हालात पहले से बेहतर हैं, और अगर यही रफ्तार बनी रही तो घाटी जल्द ही स्थायी शांति और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकती है।