
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
दक्षिण कोरिया के कुछ वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए शोध ने विश्वभर में चर्चा और विवाद को जन्म दे दिया है। इस अध्ययन में दावा किया गया है कि कोविड-19 वैक्सीन लेने के बाद लोगों में छह प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, जिनमें थायरॉइड, फेफड़े, पेट, ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) शामिल हैं। हालांकि, इस शोध को लेकर दुनिया भर के प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञों और संगठनों ने इसे भ्रामक और अधूरा बताया है।
शोध में क्या कहा गया?
रिपोर्ट के अनुसार, साउथ कोरिया की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोविड वैक्सीन लेने वाले और न लेने वाले लोगों के हेल्थ डेटा का तुलनात्मक अध्ययन किया। इस स्टडी के मुताबिक, वैक्सीन लेने वालों में कुछ प्रकार के कैंसर की घटनाएं अपेक्षाकृत अधिक देखी गईं। वैज्ञानिकों का दावा है कि mRNA आधारित कोविड वैक्सीन शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया में ऐसे परिवर्तन कर सकती है, जिससे कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को अनजाने में बढ़ावा मिल सकता है।
वैज्ञानिक समुदाय ने किया खंडन
हालांकि, दुनिया भर के कई ऑन्कोलॉजिस्ट, वायरोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य एजेंसियों ने इस अध्ययन की वैधता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अध्ययन में नमूनों की संख्या बहुत सीमित थी, और इसमें कारण-परिणाम का वैज्ञानिक प्रमाण नहीं दिया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी CDC (Centers for Disease Control and Prevention) ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोविड वैक्सीन और कैंसर के बीच किसी भी प्रकार का सीधा संबंध साबित नहीं हुआ है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड वैक्सीन शरीर की इम्यून सिस्टम को सक्रिय करती है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ने की संभावना बहुत कम है। बल्कि, कई शोधों से यह सिद्ध हुआ है कि कोविड संक्रमण के गंभीर मामलों से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, न कि वैक्सीन से।
पहले भी उठ चुके हैं विवाद
यह पहली बार नहीं है जब कोविड वैक्सीन को लेकर विवाद सामने आया हो। इससे पहले भी कुछ रिपोर्टों में वैक्सीन को हार्ट अटैक, मायोकार्डाइटिस (हृदय की सूजन) और ब्लड क्लॉटिंग जैसे मामलों से जोड़ा गया था। लेकिन बाद में इन दावों को भी बड़े पैमाने पर वैज्ञानिकों ने गलत साबित किया। अधिकांश देशों में वैक्सीन को अब भी सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है।
विशेषज्ञों की सलाह
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोशल मीडिया पर फैल रही इस तरह की भ्रामक खबरों से लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। कोविड वैक्सीन ने लाखों लोगों की जान बचाई है और अब तक किसी अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने इसे कैंसर के खतरे से जोड़ने का कोई ठोस सबूत नहीं दिया है।
डॉक्टरों ने यह भी कहा है कि किसी एक सीमित क्षेत्र या छोटे समूह पर आधारित अध्ययन से विश्वव्यापी निष्कर्ष नहीं निकाले जा सकते।
कोरियाई वैज्ञानिकों की इस स्टडी ने निश्चित रूप से एक नई बहस को जन्म दिया है, लेकिन चिकित्सा जगत के अधिकांश विशेषज्ञ इसे अवैज्ञानिक और अपूर्ण डेटा पर आधारित मानते हैं। स्वास्थ्य संगठनों ने दोहराया है कि कोविड वैक्सीन सुरक्षित है और इसके लाभ किसी भी संभावित जोखिम से कहीं अधिक हैं।