
स्टेट डेस्क, श्रेया पांडेय |
झारखंड के गोड्डा जिले में सोमवार, 11 अगस्त 2025 को हुई पुलिस मुठभेड़ में भाजपा के पूर्व नेता और कुख्यात अपराधी सूर्य (सूर्य नारायण) हांसदा की मौत हो गई। गोड्डा के पुलिस अधीक्षक ने घटना की आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया कि हांसदा लंबे समय से फरार चल रहा था और उसके खिलाफ कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे।
सूत्रों के मुताबिक, हांसदा को रविवार को देवघर जिले के नावाडीह (मोहनपुर) से पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान उसने अपने छिपाए गए हथियारों का खुलासा किया, जिसके बाद पुलिस उसे बोआरीजोर थाना क्षेत्र के जिरली समारी पहाड़ी पर लेकर गई। यह इलाका घना और दुर्गम है, जहाँ से उसके द्वारा छिपाए गए हथियार बरामद किए जाने थे। इसी दौरान मुठभेड़ जैसी स्थिति बन गई। पुलिस का कहना है कि हांसदा ने मौके से हथियार लेकर भागने की कोशिश की, जिस पर जवाबी कार्रवाई में वह गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
घटना स्थल को तुरंत पुलिस बल ने घेर लिया और आसपास का इलाका आम लोगों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। हालांकि, स्थानीय लोगों की बड़ी भीड़ पहाड़ी क्षेत्र के चारों ओर जमा हो गई। मुठभेड़ की खबर फैलते ही जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों में चर्चा तेज हो गई।
सूर्य हांसदा लालमटिया थाना क्षेत्र के डकैता गांव का रहने वाला था। वह राजनीति में सक्रिय रहा और 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर बोरियो विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें वह दूसरे स्थान पर रहा। 2024 में पार्टी ने उसे टिकट नहीं दिया, तो उसने जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया।
राजनीतिक सफर के साथ-साथ हांसदा का आपराधिक रिकॉर्ड भी लंबा था। उस पर कई हिंसक और विध्वंसकारी घटनाओं के आरोप थे। इनमें ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के राजमहल प्रोजेक्ट में फायरिंग, जिसमें एक मशीन ऑपरेटर घायल हुआ था, और साहिबगंज में ट्रकों को आग लगाने जैसी घटनाएं शामिल हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, हांसदा कई मामलों में वांछित था और गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार स्थान बदलता रहा।
पुलिस की कई टीमों ने उसे पकड़ने के लिए लंबे समय से अभियान चला रखा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद उम्मीद थी कि उसके आपराधिक नेटवर्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी, लेकिन मुठभेड़ में मौत के कारण अब कई सवाल अनुत्तरित रह गए हैं।
पुलिस ने बताया कि इस घटना की विस्तृत जानकारी और ऑपरेशन की पूरी रूपरेखा शाम को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा की जाएगी। वहीं, मुठभेड़ की परिस्थितियों को लेकर स्थानीय स्तर पर चर्चाएं और अटकलें तेज हैं। कुछ लोग इसे पुलिस की बड़ी सफलता मान रहे हैं, तो कुछ इसे एक विवादास्पद कार्रवाई बता रहे हैं।
इस मुठभेड़ ने गोड्डा और आसपास के इलाकों में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। एक समय राजनीतिक प्रभाव रखने वाला नेता अब अपनी आपराधिक गतिविधियों के कारण ऐसे अंजाम तक पहुंचा, जिसने न केवल उसके राजनीतिक करियर का अंत कर दिया, बल्कि उसके समर्थकों और विरोधियों दोनों को झकझोर दिया है।