
स्टेट डेस्क, श्रेयांश पराशर |
जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार के अररिया में आयोजित बिहार बदलाव यात्रा के दौरान चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को किसी भी व्यक्ति की नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है। यह जिम्मेदारी केवल न्यायपालिका और संबद्ध कानूनी संस्थाओं की होती है।
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि कानून के मुताबिक, बिना ठोस और वैध कारण बताए किसी भी मतदाता का नाम मतदाता सूची से हटाया नहीं जा सकता। उनका कहना था कि चुनाव आयोग का कार्य केवल मतदाता सूची में नाम दर्ज करने, पात्रता का आकलन करने और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने तक सीमित है। लेकिन हाल के मामलों में देखा गया है कि कई लोगों के नाम सूची से हटाए गए हैं, जिससे नागरिक अधिकारों पर खतरे का आभास होता है।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि आयोग नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं रखता। प्रशांत किशोर ने चेतावनी दी कि यदि आयोग इस सीमा से बाहर जाकर कदम उठाता है, तो लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता दोनों पर आघात होगा। उन्होंने कहा कि हटाए गए लोगों के नाम पर आपत्ति दर्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाएगी।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में मतदाता सूची से नाम हटाने, नागरिकता और पहचान को लेकर बहस तेज है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आयोग पर ऐसी भूमिका का दबाव डाला गया तो उसकी निष्पक्षता संदिग्ध हो जाएगी।
प्रशांत किशोर का यह बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था की पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग और सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।