
विदेश डेस्क, मुस्कान कुमारी ।
भारत और अमेरिका एक अहम व्यापार समझौते की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहे हैं, जिसमें आयात शुल्क में बड़ी कटौती की संभावना जताई जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि दोनों देश 9 जुलाई 2025 की समयसीमा से पहले एक अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह डील दोनों देशों के बीच व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर के आंकड़े तक ले जाने के लक्ष्य को मजबूत आधार दे सकती है। हालांकि, कृषि और डेयरी क्षेत्रों में कुछ बिंदुओं पर असहमति अभी भी बनी हुई है, जिससे यह समझौता थोड़ा जटिल बन गया है।
बढ़ती गतिविधियां, समयसीमा की चुनौती
भारत-अमेरिका के बीच वाशिंगटन में चल रही व्यापार वार्ताएं इन दिनों अपने चरम पर हैं। भारतीय प्रतिनिधियों ने अपनी बातचीत की अवधि बढ़ा दी है ताकि 9 जुलाई की तय समयसीमा से पहले समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। ट्रंप ने संकेत दिया कि यदि भारत अमेरिकी कंपनियों के सामने मौजूद व्यापारिक अड़चनों को हटाता है, तो यह समझौता "कम टैरिफ" के साथ संभव है। वर्तमान में अमेरिका भारत से आयात पर 10% शुल्क लगाता है, लेकिन अप्रैल 2025 में ट्रंप ने इसे 26% तक बढ़ाने की घोषणा की थी, जो फिलहाल स्थगित है। यदि समझौता नहीं हुआ, तो यह बढ़ा हुआ शुल्क लागू हो सकता है, जिससे व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
डील का मुख्य उद्देश्य
फिलहाल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 191 अरब डॉलर के आसपास है। यह समझौता व्यापारिक संबंधों को मज़बूती देगा और 2030 तक इस आंकड़े को 500 अरब डॉलर तक ले जाने की दिशा में मदद करेगा। यह अमेरिकी कंपनियों को भारत में बेहतर प्रतिस्पर्धा का मौका देगा, वहीं भारत को भी अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों — जैसे वस्त्र, आभूषण, चमड़ा, झींगा, तेल बीज, अंगूर और केले — के लिए नई संभावनाएं मिलेंगी।
कृषि और डेयरी विवाद बने रोड़ा
वार्ता में सबसे कठिन विषय कृषि और डेयरी से जुड़े हैं। अमेरिका भारत से सेब, नट्स और जीएम फसलों पर आयात शुल्क घटाने की मांग कर रहा है। वहीं भारत अपने डेयरी सेक्टर को अमेरिकी प्रतिस्पर्धा के लिए खोलने को तैयार नहीं है, क्योंकि यह क्षेत्र 8 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है और राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है। इसके अतिरिक्त, गुणवत्ता नियंत्रण और अन्य गैर-टैरिफ नियम भी बातचीत में अड़चन पैदा कर रहे हैं।
संभावित 'मिनी-डील' पर नजर
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और अमेरिका एक सीमित ‘मिनी-डील’ पर सहमति बना सकते हैं जिसमें कार, औद्योगिक उत्पाद, बादाम और इथेनॉल जैसे कुछ कृषि उत्पादों पर शुल्क कटौती हो सकती है। अमेरिका इसके साथ ही तेल, विमान, और खुदरा व्यापार (जैसे अमेज़न व वॉलमार्ट) को लेकर भी भारत से नियमों में राहत चाहता है। हालांकि एक व्यापक समझौते में अभी समय लग सकता है और इसे शरद ऋतु तक टालने की संभावना जताई जा रही है। अगले कुछ दिन इस डील की दिशा तय करने में अहम साबित होंगे।
आर्थिक असर और आगे की राह
यह समझौता भारत और अमेरिका दोनों के लिए आर्थिक दृष्टि से लाभदायक साबित हो सकता है। अमेरिकी व्यवसायों को भारतीय बाजार में अधिक सरल पहुंच मिलेगी, जबकि भारत अपने उत्पादों के निर्यात को बढ़ा सकेगा। हालांकि, संवेदनशील मुद्दों जैसे कृषि और डेयरी पर सहमति बनाना सरकारों के लिए एक कठिन चुनौती बना हुआ है। ट्रंप का बयान कि “हम भारत के बहुत करीब हैं,” उम्मीदें तो जगाता है, लेकिन जब तक समझौते पर अंतिम मुहर नहीं लगती, तब तक अनिश्चितता बनी हुई है।