तेजस्वी यादव के विवादित बयान से सियासत गरमाई, पटना में लगे 'मेरा बाप चारा चोर है' पोस्टर

स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
बिहार की राजनीति एक बार फिर तीखी बयानबाजी और पोस्टर वार की भेंट चढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बिहार दौरे के बाद राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा दिए गए विवादित बयान ने प्रदेश की राजनीति में आग लगा दी है। भाजपा और जदयू समेत पूरा एनडीए गठबंधन उनके इस बयान को लेकर हमलावर हो गया है।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के दौरे पर थे। उन्होंने सीवान जिले के जसौली में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया और वहां से करीब 10,000 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन किया। इसके साथ ही उन्होंने पटना-गोरखपुर वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना भी किया।
इस दौरान पीएम मोदी ने अपने भाषण में राजद, कांग्रेस और खासतौर से लालू प्रसाद यादव के परिवार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने भ्रष्टाचार और वंशवाद के मुद्दे पर विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। इसी के जवाब में तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पलटवार किया।
तेजस्वी ने कहा, “प्रधानमंत्री बिहार की जनता की जेब से निकले पैसे पर बिहार आते हैं। जनता की गाढ़ी कमाई से राजनीति कर रहे हैं। हमें पॉकेटमार पीएम और अचेत सीएम नहीं चाहिए।” तेजस्वी का यह बयान तुरंत ही राजनीतिक हलकों में तूफान बन गया।
तेजस्वी के इस बयान पर भाजपा, जदयू और लोजपा (रामविलास) के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि, “अमिताभ बच्चन की फिल्म में एक डायलॉग था, जिसमें हाथ पर लिखा होता है - मेरा बाप चोर है। अब तेजस्वी को भी यही करना पड़ेगा।” उन्होंने लालू परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि तेजस्वी ने अपने बयानों से अपनी सोच और संस्कारों को उजागर कर दिया है।
जदयू नेताओं ने तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा कि एक नेता प्रतिपक्ष से इस तरह की भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने तेजस्वी के बयान को बिहार की जनता और लोकतांत्रिक मर्यादा का अपमान बताया।
शनिवार को पटना का नजारा बदल गया। शहर के चौक-चौराहों, सार्वजनिक स्थलों और प्रमुख मार्गों पर एक जैसे पोस्टर लगे देखे गए जिनमें लिखा था – “मेरा बाप चारा चोर है, वोट दीजिए।” इन पोस्टरों में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को एक भैंस पर बैठे हुए दिखाया गया, जिसमें तेजस्वी के हाथ में कमान थी। यह एक व्यंग्यात्मक कार्टून था, लेकिन इसका संदेश पूरी तरह से राजनीतिक हमला था।
इन पोस्टरों पर न तो किसी राजनीतिक दल का नाम था, न ही किसी संगठन या व्यक्ति का। यह साफ है कि इन्हें अनाम तरीके से लगाया गया है, लेकिन इनका मकसद तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव को बदनाम करना है।
पीएम मोदी के भाषण के बाद लालू प्रसाद यादव ने भी बिना नाम लिए तंज कसते हुए मौसम की खराबी का हवाला देते हुए कहा, “अब तो बादल भी नेताओं के भाषण से डरने लगे हैं।” यह इशारा मोदी के भाषण पर था, लेकिन राजनीतिक तौर पर इसे भी तीखा व्यंग्य माना जा रहा है।
बिहार में यह नया विवाद आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। तेजस्वी यादव के बयान और उस पर आई तीखी प्रतिक्रियाएं साफ दिखा रही हैं कि बिहार की राजनीति अब मुद्दों से हटकर कटाक्ष और व्यक्तिगत आरोपों पर केंद्रित हो गई है।
जहां एक ओर एनडीए गठबंधन इसे तेजस्वी की ओछी राजनीति बता रहा है, वहीं राजद इसे बीजेपी और जदयू की बौखलाहट का परिणाम मान रही है। फिलहाल, पटना में लगे पोस्टरों ने इस सियासी घमासान को और उग्र बना दिया है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला और कितना तूल पकड़ता है या फिर चुनावी हवाओं में यह भी कहीं गुम हो जाता है।