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नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय।
दिल्ली से देहरादून के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। बहुप्रतीक्षित दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे परियोजना अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है और जुलाई 2025 में इसके पूरी तरह चालू हो जाने की संभावना है। इस आधुनिक एक्सप्रेसवे का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा किया जा रहा है और इसकी कुल लागत लगभग ₹12,000 करोड़ आंकी गई है। इस परियोजना को केंद्र सरकार की "भारतमाला परियोजना" के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य देश के प्रमुख शहरों को विश्वस्तरीय सड़कों के माध्यम से जोड़ना है।
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होकर उत्तर प्रदेश और हरिद्वार होते हुए उत्तराखंड की राजधानी देहरादून तक जाएगा। कुल लंबाई करीब 210 किलोमीटर है। इस हाई-स्पीड कॉरिडोर के शुरू होने से दिल्ली से देहरादून तक की यात्रा का समय वर्तमान के लगभग 6.5 घंटे से घटकर केवल 2.5 घंटे रह जाएगा। इससे न केवल समय की बचत होगी बल्कि ईंधन की खपत भी कम होगी, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम करने में मदद मिलेगी।
एक्सप्रेसवे की सबसे खास बात यह है कि इसमें एशिया का सबसे लंबा वन्यजीव कॉरिडोर शामिल है, जिसकी लंबाई लगभग 12 किलोमीटर है। यह कॉरिडोर राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र में बनाया गया है और इसका उद्देश्य है कि वन्यजीवों के पारंपरिक आवागमन मार्गों में कोई बाधा न आए। इसे टनल और एलिवेटेड रोड के रूप में बनाया गया है ताकि वन्यजीवों और पर्यावरण को न्यूनतम क्षति हो। यह पहल भारत में सड़क निर्माण और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन का एक आदर्श उदाहरण बन सकती है।
इस परियोजना के पूरे होने से उत्तराखंड की पर्यटन, व्यापार और परिवहन गतिविधियों को बड़ी गति मिलेगी। मसूरी, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे पर्यटन स्थलों तक जल्दी और आरामदायक पहुंच से पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, इस सड़क के माध्यम से उत्तर भारत के मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के बीच माल ढुलाई तेज और सुरक्षित हो सकेगी।
सुरक्षा के लिहाज से भी इस एक्सप्रेसवे को उच्च मानकों के अनुसार विकसित किया गया है। इसमें अत्याधुनिक ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम, टोल प्लाजा पर फास्टैग सुविधा, वेंटीलेशन युक्त टनल और इमरजेंसी हेल्पलाइन जैसे कई नवाचार शामिल किए गए हैं। सड़क की डिजाइनिंग में रोड सेफ्टी इंजीनियरिंग का विशेष ध्यान रखा गया है ताकि दुर्घटनाओं की संभावना न्यूनतम हो।
कुल मिलाकर, दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे उत्तर भारत के लिए एक बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है जो भविष्य में देश के विकास और लोगों की जीवनशैली को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। यह न केवल भौगोलिक दूरी को कम करेगा, बल्कि क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक प्रगति का एक नया द्वार भी खोलेगा।