
बिजनेस डेस्क, मुस्कान कुमारी |
नई दिल्ली: स्मार्टफोन खरीदने वालों के लिए एक बड़ा बदलाव आ रहा है। अब फोन के बॉक्स में न सिर्फ चार्जर, बल्कि USB केबल भी नजर नहीं आएगी। जापानी कंपनी सोनी ने अपने लेटेस्ट मिड-रेंज मॉडल Xperia 10 VII के साथ USB-C केबल हटाने की शुरुआत कर दी है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और लागत बचत का दावा करता है, लेकिन उपभोक्ताओं में असंतोष भी पैदा कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रेंड जल्द ही सैमसंग, एप्पल और अन्य ब्रांड्स तक फैल सकता है, खासकर भारत जैसे बाजारों में जहां सरकार USB-C को अनिवार्य बनाने की तैयारी में है।
सोनी का साहसिक कदम: बॉक्स में सिर्फ फोन, बाकी सब गायब
सोनी का Xperia 10 VII मॉडल बाजार में उतरते ही सुर्खियों में आ गया। रेडिट पर एक यूजर ने बॉक्स खोलकर फोटो शेयर की, जिसमें सिर्फ यूजर मैनुअल नजर आ रहा था। बॉक्स के पीछे स्पष्ट चेतावनी आइकॉन बने हैं - न चार्जर, न USB केबल। कंपनी का तर्क है कि ज्यादातर यूजर्स के पास पहले से ही USB-C केबल मौजूद हैं, इसलिए नई डिवाइस के साथ इसे दोहराना बेकार है। इससे इलेक्ट्रॉनिक कचरा कम होगा और पैकेजिंग छोटी होने से शिपिंग खर्च घटेगा।
यह बदलाव सोनी के लिए नया नहीं। कंपनी ने चार्जर पहले ही बॉक्स से हटा लिया था, लेकिन अब केबल हटाने से उद्योग में हलचल मच गई है। Xperia 10 VII की कीमत करीब 50,000 रुपये है, और उपभोक्ता संगठनों का कहना है कि इतने पैसे देकर एक्सेसरी के लिए अलग खरीदना मजबूरी नहीं होनी चाहिए। एक दिल्ली के टेक रिटेलर ने बताया, "ग्राहक पहले ही चार्जर न मिलने पर शिकायत करते हैं, अब केबल भी? यह ट्रेंड भारत में मुश्किल से चलेगा।"
सोनी के इस फैसले से अन्य ब्रांड्स पर दबाव बढ़ गया है। सैमसंग गैलेक्सी सीरीज और गूगल पिक्सल जैसे मॉडल अभी केबल देते हैं, लेकिन इंडस्ट्री एनालिस्ट्स का अनुमान है कि 2026 तक 70 फीसदी स्मार्टफोन बिना केबल के बिकेंगे। यूरोप में पहले से ही सख्त ई-वेस्ट नियम हैं, जो इस ट्रेंड को बढ़ावा दे रहे हैं।
पर्यावरण बचाओ, लेकिन उपभोक्ता का क्या?
कंपनियां पर्यावरण को बहाना बनाकर लागत काट रही हैं, लेकिन हकीकत में यह मुनाफे का खेल है। एक USB-C केबल की लागत महज 50-100 रुपये है, लेकिन करोड़ों यूनिट्स पर यह करोड़ों की बचत बन जाती है। साथ ही, ब्रांडेड एक्सेसरी बेचकर अतिरिक्त कमाई का रास्ता खुल जाता है। विश्व स्तर पर सालाना 10 अरब से ज्यादा स्मार्टफोन बिकते हैं, और हर बॉक्स से एक केबल हटाने से प्लास्टिक, कॉपर जैसे संसाधनों की बचत तो होगी ही।
लेकिन उपभोक्ताओं के लिए चुनौती बढ़ रही है। सभी केबल एक जैसी नहीं होतीं। कुछ हाई-स्पीड चार्जिंग सपोर्ट करती हैं, तो कुछ डेटा ट्रांसफर के लिए ठीक। सस्ती चाइनीज केबल से फोन खराब भी हो सकता है। एक मुंबई के टेक एक्सपर्ट ने कहा, "USB-IF सर्टिफाइड केबल ही लें, वरना वारंटी प्रभावित हो सकती है।" एप्पल ने 2020 में iPhone 12 से चार्जर हटाया था, जिससे हंगामा मचा। अब एयरपॉड्स 4 और प्रो 3 में भी केबल नहीं है। सोनी ने स्मार्टफोन में इसे लागू कर नया आयाम दे दिया।
भारत में यह बदलाव और संवेदनशील है। यहां 95 फीसदी यूजर्स एंड्रॉयड फोन इस्तेमाल करते हैं, और मिडिल क्लास परिवारों में बजट स्मार्टफोन ज्यादा बिकते हैं। केबल न मिलने से ग्रामीण इलाकों में परेशानी बढ़ सकती है, जहां अच्छी क्वालिटी के केबल आसानी से उपलब्ध नहीं।
भारत सरकार का USB-C मिशन: जून 2025 से कोई छूट नहीं
भारत में यह ट्रेंड सरकार के नए नियम से जुड़ गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने जून 2025 से सभी नए स्मार्टफोन और टैबलेट्स में USB-C पोर्ट अनिवार्य करने का फैसला किया है। यूरोपीय संघ की तर्ज पर यह कदम ई-वेस्ट कम करने का है। अभी मार्केट में माइक्रो-USB, लाइटनिंग और USB-C का मेला लगा है, जिससे हर साल लाखों केबल कचरा बन जाते हैं।
नियम के तहत, फीचर फोन और वियरेबल्स को छूट मिलेगी, लेकिन लैपटॉप्स पर 2026 तक USB-C लगाना होगा। एप्पल को iPhone 15 से ही USB-C अपनाना पड़ा था। अब एंड्रॉयड ब्रांड्स जैसे शाओमी, ओप्पो और वनप्लस भी तैयार हैं। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, "यह उपभोक्ताओं को एक ही केबल से कई डिवाइस चार्ज करने की सुविधा देगा।" लेकिन विशेषज्ञ चेताते हैं कि कंपनियां इस बहाने बॉक्स को और खाली करेंगी।
इस नियम से आयातित फोन्स महंगे हो सकते हैं, लेकिन लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगी। 2024 में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट बना, और 2025 में 15 करोड़ यूनिट्स बिकने का अनुमान है। USB-C मानकीकरण से निर्यात भी आसान होगा।
वैश्विक ट्रेंड: चार्जर के बाद केबल, अगला क्या?
दुनिया भर में यह बदलाव तेजी से फैल रहा है। कैलिफोर्निया में 2026 से USB-C अनिवार्य होगा। सोनी का कदम छोटा लगता है, लेकिन प्रभाव बड़ा। अगर सैमसंग गैलेक्सी S26 या iPhone 17 बिना केबल आए, तो बाजार हिल जाएगा। उपभोक्ता अब वायरलेस चार्जिंग पर शिफ्ट हो रहे हैं, लेकिन अभी USB-C ही राजा है।
भारतीय उपभोक्ता संगठन FICCI ने मांग की है कि बॉक्स में न्यूनतम एक्सेसरी रखने का नियम बने। लेकिन कंपनियां जोर दे रही हैं कि यूजर्स के पास पहले से केबल हैं। सच्चाई यह है कि बाजार अब 'मिनिमलिस्ट' हो रहा है - कम सामान, ज्यादा कीमत।
नए फोन खरीदने वालों को सलाह: पुरानी अच्छी क्वालिटी की USB-C केबल चेक करें। अगर नहीं है, तो प्रमाणित ब्रांड से लें। यह बदलाव पर्यावरण के लिए अच्छा है, लेकिन उपभोक्ता की जेब पर बोझ डाल सकता है।