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बिहार पुलिस में ड्राइवर संकट: गाड़ियाँ ज्यादा, ड्राइवर कम

स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |

बिहार पुलिस लगातार पुलिस गाड़ियों की संख्या बढ़ा रही है लेकिन बिहार पुलिस के पास जितना पुलिस गाड़ियाँ है उसका एक तिहाई भी ड्राईवर नहीं है। ड्राइवरों की भारी कमी के कारण ये गाड़ियाँ बेकार पड़ी हैं। ड्राईवर की कमी के कारण पुलिस निजी ड्राईवर का उपयोग करती है। जिसमे घोटाले के आसार हो सकते है  और उसके साथ साथ सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ हो सकता है। क्यूंकि ये निजी ड्राईवर पुलिस की गुप्त सूचनाएं अपराधियों तक आसानी से पहुंचा सकते हैं। आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, बिहार पुलिस के पास 9,465 वाहन हैं जबकि ड्राइवरों के 10,390 स्वीकृत पदों में से केवल 3,488 पद ही भरे हुए हैं । 

वाहनों और ड्राइवरों की स्थिति;
2005 में बिहार में केवल 1,000 पुलिस गाड़ियाँ थीं, जो आज बढ़कर लगभग 11,000 तक पहुँच गई हैं। हालांकि, ड्राइवरों की संख्या इस अनुपात में नहीं बढ़ी है। वर्तमान में उपलब्ध ड्राइवरों की संख्या कुल आवश्यकता का एक तिहाई से भी कम है।
पटना में कांस्टेबल ड्राइवरों के लिए 704 और हेड कांस्टेबल ड्राइवरों के लिए 166 स्वीकृत पद हैं। लेकिन राज्य की राजधानी में सिर्फ़ 252 कांस्टेबल ड्राइवर और 109 हेड कांस्टेबल ड्राइवर हैं। बहुत कम स्टाफ वाले कुछ जिलों में अररिया (166 स्वीकृत पदों के मुकाबले 56), सीतामढ़ी (203 पदों के मुकाबले 57), बक्सर (138 पदों के मुकाबले 40) और मुंगेर (122 पदों के मुकाबले 59) शामिल हैं।

निजी ड्राइवरों की बढ़ती निर्भरता;
ड्राइवरों की कमी के कारण बिहार पुलिस को निजी ड्राइवरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।  विभिन्न जिलों में इसकी स्थिति इस प्रकार है:
• भागलपुर: 27 थाना प्रभारी निजी वाहन और ड्राइवरों का उपयोग कर रहे हैं।
• वैशाली: 24 थाना प्रभारी
• बक्सर: 19 थाना प्रभारी
• मुंगेर: 10 थाना प्रभारी
इसके अतिरिक्त, पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) में दो डिप्टी एसपी और दरभंगा में एक डिप्टी एसपी भी निजी वाहनों का उपयोग कर रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बिहार पुलिस ने फिलहाल 130 निजी वाहन किराए पर ले रखे हैं। सूत्रों के अनुसार, कई मामलों में इन निजी ड्राइवरों का पुलिस सत्यापन नहीं किया गया है।

भ्रष्टाचार और सुरक्षा चुनौतियाँ;
• रेत और शराब माफिया से सांठगांठ,
इंडियन एक्सप्रेस के एक रिपोर्ट में वर्णित है कि, पिछले तीन वर्षों में लगभग 50 थाना प्रभारियों को या तो निलंबित किया गया है या उन्हें लाइन हाजिर किया गया है।  इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने निजी ड्राइवरों के साथ मिलकर रेत और शराब माफिया से रिश्वत वसूली की है। 

दिसंबर 2023 में, बक्सर के टाउन थाना प्रभारी संजय कुमार सिन्हा को एक वायरल वीडियो के बाद पुलिस लाइन भेज दिया गया था। वीडियो में वह एक निजी गाड़ी में ट्रक मालिकों से वसूली करते हुए दिखाई दे रहे थे। 
अप्रैल 2025 में, मुजफ्फरपुर पुलिस ने सात पुलिसकर्मियों को रेत और शराब माफिया के साथ कथित मिलीभगत के लिए निलंबित किया। 

प्राइवेट ड्राइवरों द्वारा चोरी के मामले;
बेगूसराय जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया जहाँ एक दरोगा और थाने के प्राइवेट ड्राइवर मोहम्मद जाकिर सहित चार लोगों ने थाने से एक जब्त की गई जीप को चुराकर उसकी जगह एक पुरानी जीप लगा दी।  यह घटना इस बात को दर्शाती है कि निजी ड्राइवरों की उपस्थिति कैसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। 

सुरक्षा संबंधी चिंताएं;
निजी ड्राइवरों का उपयोग न केवल भ्रष्टाचार का कारण बन रहा है बल्कि गंभीर सुरक्षा चुनौती भी पैदा कर रहा है। इन ड्राइवरों के पास पुलिस की गुप्त जानकारी तक पहुँच होती है, जिसे वे आसानी से अपराधियों तक पहुँचा सकते हैं। 


ड्राइवर भर्ती की स्थिति;
CSBC (Central Selection Board of Constables) द्वारा पिछले कुछ वर्षों में ड्राइवर पदों के लिए कई भर्तियाँ निकाली गई थी।

• 2019: 1,722 ड्राइवर कांस्टेबल की भर्ती (प्रक्रिया पूर्ण)
• 2018: 969 ड्राइवर कांस्टेबल की भर्ती (प्रक्रिया पूर्ण)
• 2016: 1,577 ड्राइवर कांस्टेबल की भर्ती (प्रक्रिया पूर्ण)

नई भर्ती की तैयारी;
वर्तमान में 4,361 ड्राइवर पदों की भर्ती के लिए अधिसूचना संबंधित विभाग को भेजी गई है। यह भर्ती इंटरमीडिएट (12वीं) पास उम्मीदवारों के लिए है और इसमें वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है। 

संविदा ड्राइवरों का नियमितीकरण;
पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद, 1,722 संविदा पर नियुक्त ड्राइवरों को नियमित किया जाएगा। डीजीपी विनय कुमार ने 12वीं उत्तीर्ण सभी संविदा चालकों को 15 मई 2025 तक संबंधित जिला एवं इकाई में अस्थायी रूप से नियुक्त किए जाने का आदेश जारी किया है। 

वेतन और सेवा शर्तें;
7वें वेतन आयोग के अनुसार, बिहार पुलिस ड्राइवर का वेतनमान 21,700 से 69,100 रुपये है।  इसके अतिरिक्त, विभिन्न भत्ते और सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं।

बिहार पुलिस में ड्राइवरों की कमी एक गंभीर समस्या है जो न केवल परिचालन क्षमता को प्रभावित कर रही है बल्कि भ्रष्टाचार और सुरक्षा चुनौतियों को भी जन्म दे रही है। निजी ड्राइवरों पर निर्भरता ने रेत और शराब माफिया के साथ पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत को बढ़ावा दिया है। इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल व्यापक भर्ती, बेहतर निगरानी व्यवस्था और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है