Ad Image
कई जिलों में लोग आकर मुझसे कहते हैं मेरा नाम कट गया है: राहुल गांधी || छोटे बच्चे आकर कह रहे हैं - वोट चोर गद्दी छोड़, अररिया में राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस || बिहार में SIR संस्थागत वोट चोरी का तरीका, अररिया में राहुल गांधी का EC पर बड़ा हमला || हम जनता के हनुमान चिराग व्यक्ति विशेष के हनुमान: तेजस्वी यादव || पाकिस्तान: इमरान खान का भांजा गिरफ्तार, 2023 के दंगे मामले में आरोपित || नेपाल आधिकारिक रूप से इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस का सदस्य बना || बिहार: वोटर अधिकार रैली में बोले राहुल, भाजपा सत्ता का केंद्रीकरण चाहती है || आज भारत दोराहे पर, लोकतांत्रिक संस्थाओं पर कब्जा हो रहा: खरगे || नई अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है भारत: PM मोदी || गोपालगंज: दिल्ली में पूर्व सांसद काली पांडेय का निधन

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को करेगा सुनवाई

स्टेट डेस्क , श्रेयांश पराशर |

बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस पर सवाल उठाते हुए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं, जिन पर अब 10 जुलाई को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई करने का निर्णय लिया है। चुनाव आयोग के इस फैसले को संविधान और प्रक्रिया के अनुरूप न मानते हुए कई राजनीतिक दलों, सांसदों और संगठनों ने अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जयमाला बागची की अवकाशकालीन पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की इस मांग को स्वीकार किया कि मामले की शीघ्र सुनवाई की जाए। अब अदालत गुरुवार को इस मामले पर विचार करेगी।

बिहार में नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण कराने का निर्णय लिया है। लेकिन इस फैसले का कई राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों ने विरोध किया है। उनका तर्क है कि इससे समय पर और निष्पक्ष प्रक्रिया नहीं हो पाएगी, और बड़ी संख्या में मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, आरजेडी सांसद मनोज झा, एडीआर, पीयूसीएल और योगेंद्र यादव जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। उनका कहना है कि 24 जून को चुनाव आयोग द्वारा लिया गया यह फैसला संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है।

अब सभी की निगाहें 10 जुलाई को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जो इस विवाद की दिशा तय करेगी।