
स्टेट डेस्क, श्रेयांश पराशर |
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चल रही वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। भागलपुर जिले में पाकिस्तान से आई दो महिलाओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज पाए गए और उनके नाम पर वोटर आईडी कार्ड भी बना दिया गया। यह खुलासा गृह मंत्रालय की जांच में हुआ है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों पाकिस्तानी महिलाएं कई वर्षों से भागलपुर के इसाकचक थाना क्षेत्र के भीखनपुर गुमटी नंबर 3 टैंक लेन इलाके में रह रही थीं। विशेष शाखा और पुलिस जांच में यह पुष्टि हुई कि भागलपुर में कम से कम तीन पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं। इनमें से दो महिलाओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज कर लिए गए थे और पहचान पत्र भी जारी हो गया था।
दरअसल, गृह मंत्रालय ने उन विदेशियों की जांच शुरू की है जो वीज़ा अवधि समाप्त होने के बाद भी अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं। इसी दौरान इन दोनों महिलाओं का मामला सामने आया। जांच में पता चला कि एक महिला फिरदौसिया खानम 1956 में तीन महीने के वीज़ा पर भारत आई थीं, जबकि दूसरी महिला इमराना खानम तीन साल के वीज़ा पर आई थीं। इसके बावजूद वे यहां स्थायी रूप से बस गईं और बाद में वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करा लिया।
रिपोर्ट के अनुसार, केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि एक अन्य पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद असलम भी 2002 में भारत आया था और उसने भी आधार कार्ड बनवा लिया।
पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर यह मामला बेहद गंभीर माना जा रहा है। चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और सुरक्षा पर ऐसे मामलों से सवाल उठते हैं। डीएम और एसएसपी को विस्तृत जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। अब इन महिलाओं और अन्य पाकिस्तानी नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
यह मामला चुनावी व्यवस्थाओं में निगरानी और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। सवाल यह है कि दशकों से देश में रह रहे विदेशी नागरिक किस तरह बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी किए भारतीय पहचान पत्र बनवा लेते हैं। यह न केवल चुनावी सिस्टम की कमजोरी को उजागर करता है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक चुनौती है।