
नेशनल डेस्क, वेरोनिका राय |
राजस्थान के भरतपुर जिले के बहज गांव में पुरातत्व विभाग की खुदाई के दौरान एक बेहद अहम ऐतिहासिक खोज सामने आई है। इस खुदाई में महाभारत काल से लेकर मौर्य और शुंग वंश के समय तक के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इनमें प्राचीन मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, हथियार और एक मानव कंकाल शामिल है। ये खोज भारतीय इतिहास और संस्कृति के गहरे अध्यन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
खुदाई का कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की देखरेख में किया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बहज गांव की यह ज़मीन प्राचीन काल में एक समृद्ध बस्ती रही होगी, जहां विभिन्न सभ्यताओं और कालखंडों की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
क्या-क्या मिला खुदाई में?
- मूर्तियां: खुदाई में भगवान विष्णु, शिव और अन्य देवी-देवताओं की विभिन्न मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। इनकी शैली से संकेत मिलता है कि ये शुंग काल (185–73 ई.पू.) की हो सकती हैं।
- बर्तन: मृदभांड (मिट्टी के बर्तन), जिनमें खाना पकाने और संग्रहण के लिए इस्तेमाल होने वाले पात्र शामिल हैं, अच्छी स्थिति में बरामद हुए हैं।
- हथियार: कुछ लोहे के औज़ार और तीरों की नोकें मिली हैं, जो मौर्य काल की सैन्य तकनीक को दर्शाते हैं।
- नर कंकाल: एक प्राचीन मानव कंकाल भी खुदाई में मिला है। इसकी संरचना और स्थिति का बारीकी से अध्ययन करने के लिए इसे परीक्षण हेतु इजराइल भेजा गया है।
अवशेषों का संरक्षण और प्रदर्शन
खुदाई से प्राप्त कुछ मूर्तियों और बर्तनों को विश्लेषण और सुरक्षा के लिए जयपुर स्थित प्रयोगशालाओं में भेजा गया है, जबकि कई अन्य अवशेषों को भरतपुर जिले के डीग जल महल संग्रहालय में आम जनता के लिए प्रदर्शित किया गया है। इससे न केवल स्थानीय नागरिकों में ऐतिहासिक जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि पर्यटकों को भी राजस्थान की प्राचीन विरासत को समझने का अवसर मिलेगा।
खुदाई अब भी जारी
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि खुदाई का कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है। अभी और गहराई तक खुदाई की जा रही है, जिससे आने वाले दिनों में और भी ऐतिहासिक प्रमाण मिल सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र एक प्रमुख पुरातात्विक स्थल के रूप में स्थापित हो सकता है।
महाभारत काल से संबंधित साक्ष्य भारत में बहुत ही सीमित संख्या में मिले हैं। ऐसे में भरतपुर की यह खोज न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। यह प्रमाणित करता है कि यह भूभाग हजारों साल पुरानी संस्कृति, ज्ञान, शिल्पकला और जीवनशैली का साक्षी रहा है।
बहज गांव की यह खोज भारतीय इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ रही है। आने वाले समय में यदि और भी पुरातात्विक साक्ष्य सामने आते हैं, तो यह स्थान न केवल ऐतिहासिक शोधकर्ताओं के लिए, बल्कि आम जनमानस और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है। सरकार और पुरातत्व विभाग से यह अपेक्षा है कि इन अवशेषों का संरक्षण उच्चतम स्तर पर किया जाएगा।