
स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |
कर्नाटक के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने सोमवार को मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं पर टिप्पणी करने के कुछ घंटे बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा था कि मतदाता सूची में मौजूद विसंगतियां, जिन्हें राहुल गांधी ने बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में ‘वोट चोरी’ कहा था, कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान हुई थीं।
उनकी यह स्वीकारोक्ति पार्टी की मौजूदा लाइन से उलट थी, जिस पर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। राजन्ना ने कहा, “मतदाता सूची कब बनी थी? यह हमारी सरकार के दौरान तैयार हुई थी। उस वक्त क्या सबने आंखें मूंद ली थीं? ऐसे मुद्दों पर लापरवाह बयान असहज सच सामने ला सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “ये अनियमितताएं हुई हैं, यही सच्चाई है। ये हमारी आंखों के सामने हुईं और हमें शर्म आनी चाहिए। हमने उस समय कोई कदम नहीं उठाया और आगे हमें ज्यादा सतर्क रहना होगा।”
राजन्ना के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया। पीटीआई के अनुसार, सिद्धारमैया ने इस संबंध में राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र भेजा था, जिसे सोमवार दोपहर राजभवन ने मंजूरी दे दी।
केएन राजन्ना कौन हैं?
राजन्ना एक अनुभवी राजनेता हैं, जो सिद्धारमैया सरकार में सहकारिता मंत्री रह चुके हैं। वे 1998 में पहली बार कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य बने। बाद में मधुगिरी से विधायक बने और 2013 व 2023 में विधानसभा चुनाव जीते।
तुमकुर तालुक में जन्मे राजन्ना ने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई की है। वे बेंगलुरु स्थित कर्नाटक राज्य सहकारी एपेक्स बैंक लिमिटेड और तुमकुर स्थित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के निदेशक हैं। वे तुमकुर की कृषि उत्पाद विपणन समिति के सदस्य हैं और इससे पहले क्याथासांद्रा नगर पंचायत के अध्यक्ष रह चुके हैं।
मार्च में उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा किया था कि राष्ट्रीय नेताओं समेत 48 नेता हनीट्रैप में फंसे हुए हैं। इससे पहले उन्होंने बयान दिया था कि लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली, डीके शिवकुमार की जगह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बन सकते हैं।