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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट: सैफ अली खान की करीब ₹15,000 करोड़ की वंशानुगत संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित

नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |

“मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का बड़ा फैसला – सैफ अली खान की करीब ₹15,000 करोड़ की वंशानुगत संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित, कानूनी लड़ाई फिर शुरू”

बॉलिवुड अभिनेता सैफ अली खान के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल स्थित उनकी वंशानुगत संपत्ति को ‘शत्रु संपत्ति’ (Enemy Property) घोषित कर दिया है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग ₹15,000 करोड़ बताई जा रही है।कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पारित 25 साल पुराने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटा है, जिसमें सैफ, उनकी माता शर्मिला टैगोर, और बहनों सोहा व सबा परंपरागत संपत्ति के मालिक बताए गए थे।

मामला दरअसल ‘Enemy Property Act, 1958’ के अंतर्गत आता है, जिसके तहत विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गए किसी भी व्यक्ति से संबंधित माल–मत्ताओं को भारतीय सरकार सरकारी नियंत्रण में ले सकती है ।
सैफ अली खान के परिवार के विवाद का मूल कारण है उनके पूर्वज नवाब हामिदुल्लाह खान की बड़ी बेटी अबीदा सुल्तान का पाकिस्तान जाना। न्यायालय ने इसे अपर्याप्त मानते हुए कहा कि इससे संपत्ति आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

इस विशाल संपत्ति में सैफ का बचपन का घर ‘फ्लैग स्टाफ हाउस’, ‘नूर‑उस‑सबा पैलेस’, ‘दार‑उस‑सलाम’, ‘हबीबी का बंगला’, ‘अहमदाबाद पैलेस’ और ‘कोहेफिजा संपत्ति’ प्रमुख रूप से शामिल हैं। 
यह संपत्ति बीते कई दशकों से स्थितियों की बदलती कानूनी परतों के बीच उलझी हुई है।

सैफ अली खान और उनके परिवार ने इस फैसले का संघर्ष 2014 में शुरू किया था, जब ‘कस्टोडियन ऑफ एनीमी प्रॉपर्टी डिपार्टमेंट’ ने पहली बार इनके विरुद्ध कार्रवाई शुरू की थी । 2015 में उच्च न्यायालय ने उन्हें अस्थायी राहत दी, लेकिन 13 दिसंबर 2024 को इस राहत को वापस ले लिया गया। सूचित किया गया कि 30 दिनों के भीतर संपत्ति पर दावा करें, लेकिन अदालत के अनुसार, कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया गया ।

न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह इस मामले को पुनः सुनाए और एक वर्ष के भीतर अंतिम निर्णय दे । यह आदेश इस संपत्ति विवाद की कानूनी उलझनों को और गहरा कर देता है, जिसमें पारिवारिक रिश्ते, मुस्लिम पर्सनल लॉ, और ऐतिहासिक वंशानुगत संपत्ति से जुड़े तथ्यों की जटिलता शामिल है ।

सामान्य दर्शकों को यह बात अस्पष्ट हो सकती है कि यह विवाद सिर्फ संपत्ति का नहीं है, बल्कि यह भारतीय कानून में विभाजन के समय हुई जनसंख्या स्थानांतरण की दुष्परिणामस्वरूप सामने आया है। पिछले दशकों से चली आ रही यह वंशानुगत संपत्ति विवाद अब एक संवेदनशील राजनीतिक और कानूनी स्थिति के रूप में दृश्य पर आ खड़ा हो गया है। अब राज्य प्रशासन इन संपत्तियों की आधिकारिक ढंग से जब्ती की प्रक्रिया शुरू कर सकता है ।

सैफ अली खान की ओर से आधिकारिक प्रतिकृति अभी तक सार्वजनिक रूप से नहीं आई है, लेकिन इस खबर ने बॉलीवुड और मीडिया सर्कल में भारी हलचल मचा दी है। इस लड़ाई का अगला अध्याय अदालतों की सुनवाई में निर्धारित होगा, जहां यह तय होगा कि क्या सैफ की अगली पीढ़ी — उनके बेटे तैमूर और इब्राहिम — इस संपत्ति पर दावा कर पाएंगे या नहीं।

इस पूरे केस ने पुरानी संपत्ति विवादों, विभाजन की ऐतिहासिक घटनाओं, और आधुनिक कानूनी जटिलताओं को एक साथ जोड़ते हुए एक नये मुकाम पर ला खड़ा किया है। आने वाले महीनों में, जब नए दस्तावेज़, गवाह और कानूनी तर्क कोर्ट में पेश होंगे, तब यह स्पष्ट हो पाएगा कि क्या सैफ अली खान अपने पूर्वजों की वंशानुगत विरासत को दोबारा पाने में सफल होंगे या यह संपत्ति भारतीय सरकार की ‘शत्रु संपत्ति’ सूची में शामिल हो जाएगी।