
स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |
महाराष्ट्र के स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाई जाएगी, मराठी संगठनों ने जताया विरोध
महाराष्ट्र सरकार ने एक नया आदेश जारी करते हुए घोषणा की है कि राज्य के मराठी और अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में हिंदी सिखाई जाएगी। यह नई व्यवस्था शैक्षणिक सत्र 2025-26 से प्रभावी होगी।
मंगलवार को जारी संशोधित सरकारी निर्देश में स्पष्ट किया गया कि हिंदी को अनिवार्य रूप से नहीं, बल्कि सामान्य रूप में तीसरी भाषा के रूप में शामिल किया जाएगा। हालांकि, यदि किसी स्कूल में प्रति कक्षा कम से कम 20 छात्र हिंदी के बजाय किसी अन्य भारतीय भाषा को सीखना चाहें, तो उन्हें यह विकल्प मिलेगा।
बुधवार को स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने सरकार के इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि हिंदी का सार्वजनिक जीवन में व्यापक प्रयोग होता है, और इसे सीखने से छात्रों को लाभ होगा, विशेषकर उच्च शिक्षा में बारहवीं के बाद।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि जो स्कूल पाठ्यक्रम के अनुसार मराठी नहीं पढ़ाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, मराठी संगठनों, कांग्रेस पार्टी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने सरकार पर आरोप लगाया है कि पहले इस नीति से पीछे हटने के बाद अब इसे चुपचाप लागू किया जा रहा है। कांग्रेस ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर यह कहते हुए हमला बोला कि उन्होंने मराठी समुदाय की “छाती में छुरा घोंपा” है।
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने चेतावनी दी कि राज्य में हिंदी को जबरन थोपने की इजाजत नहीं दी जाएगी। आलोचकों का कहना है कि सरकार का यह निर्णय मंत्री के पूर्व बयानों के विरुद्ध है, जिनमें कहा गया था कि प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी अनिवार्य नहीं होगी।
विवाद बढ़ने और कांग्रेस तथा मनसे की आलोचना के बाद मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि छात्रों के लिए हिंदी पढ़ना अब अनिवार्य नहीं है, और तीसरी भाषा के रूप में कोई भी भारतीय भाषा चुनी जा सकती है।
उन्होंने इस पूरे विवाद को “अनावश्यक” बताया। गौरतलब है कि यह आदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार की गई 'राज्य पाठ्यचर्या रूपरेखा 2024' के कार्यान्वयन का हिस्सा है। इसके अनुसार, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवीं तक के छात्रों के लिए हिंदी सामान्य रूप से तीसरी भाषा होगी।
आदेश में यह भी कहा गया है कि जो छात्र हिंदी की बजाय अन्य भाषा चुनना चाहते हैं, उन्हें उस विकल्प को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक कक्षा में कम से कम 20 छात्रों की आवश्यकता होगी। उस स्थिति में उस विशेष भाषा के लिए शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी या उसे ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जाएगा। इसके साथ ही, सभी माध्यम के स्कूलों में मराठी पढ़ाना अनिवार्य होगा।