लोकल डेस्क, आर्या कुमारी।
4 बुलडोजर, भारी पुलिस बल और 6 बीघा की जमीन फैसले के बाद तुरन्त एक्शन, मोतिहारी के अजगरी गांव में 48 साल पुराने भूमि विवाद में कोर्ट ने फेकन ठाकुर और मंगल ठाकुर के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर मकान ध्वस्त कर कब्जा दिलाया।
बिहार के मोतिहारी जिले में जमीन विवाद के एक मामले में 48 साल बाद अदालत का फैसला आया। आदेश मिलते ही विवादित मकान को चार बुलडोजरों से ढहाया गया। पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल थाना क्षेत्र के अजगरवा-सिसहनी पंचायत के अजगरी गांव में चल रहे इस केस पर मोतिहारी सिविल कोर्ट ने बड़ा निर्णय सुनाया। प्रशासन की मौजूदगी में चल रही कार्रवाई के दौरान चारों ओर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम रहे और भारी पुलिस बल तैनात किया गया।
मामले की शुरुआत वर्ष 1977 में हुई थी, जब फेकन ठाकुर और मंगल ठाकुर ने अदालत में आवेदन देकर आरोप लगाया कि उनके पाटीदार राजकुमार ठाकुर, सियाराम ठाकुर और रघुवंश ठाकुर ने उनकी 6 बीघा जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर घर बना लिया है। लंबे समय तक चली सुनवाई, बहस और दस्तावेज़ी प्रक्रिया के बाद कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिया और उन्हें जमीन का कब्जा दिलाने का आदेश जारी किया।
आदेश लागू कराने के लिए प्रशासनिक टीम गांव पहुंची। कमिश्नर राजीव शंकर वर्मा, पुलिस अधिकारियों और मजिस्ट्रेटों की मौजूदगी में पहले मकान को खाली कराया गया, फिर चार बुलडोजरों ने मिलकर पक्का मकान ढहा दिया। मौके पर मौजूद कमिश्नर राजीव शंकर वर्मा ने कहा “कोर्ट के आदेश के अनुसार फेकन ठाकुर और मंगल ठाकुर को उनकी जमीन पर दखल कब्ज़ा दिला दिया गया है. कार्रवाई पूरी तरह शांतिपूर्ण वातावरण में की गई.” कार्रवाई के दौरान दोनों पक्षों के समर्थक बड़ी संख्या में जमा हुए, मगर प्रशासनिक सख्ती से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
कई वर्षों से यह जमीन विवाद गांव की राजनीति और तनाव का कारण बना हुआ था। सुरक्षा को देखते हुए पूरे क्षेत्र में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है और प्रशासन यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि विवादित भूमि पर दोबारा निर्माण न हो। कोर्ट का फैसला आते ही ग्रामीणों में उम्मीद जगी है कि लंबे विवाद और तनाव का अंत होगा। कार्रवाई और फैसले का यह पूरा घटनाक्रम पूरे दिन गांव में चर्चा का केंद्र बना रहा, और लोग वर्षों से लंबित केस के समाधान व प्रशासन की सख्ती पर खुलकर बात करते दिखे।







