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रेलवे में नई श्रम नीति वापस लो: रत्नेश वर्मा

लोकल डेस्क, एन के सिंह |

रेलवे कर्मचारियों का जोरदार प्रदर्शन, 'नई श्रम नीति वापस लो!' – रत्नेश वर्मा

यूनियन ने नई श्रम नीति, निजीकरण, पुरानी पेंशन बहाली और 55/30 सर्विस रिव्यू जैसी नीतियों को रद्द करने की मांग की, साथ ही कर्मियों की कमी और सुरक्षा मुद्दों पर भी दिया जोर।

पूर्वी चंपारण: ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्प्लाईज यूनियन (निबंधन संख्या - 4065) ने केंद्र सरकार की नई श्रम नीति और अन्य मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मोतीहारी में एक सशक्त जागरूकता रैली और अभियान चलाया। यह विशाल अभियान आगामी 9 जुलाई 2025 को होने वाली देशव्यापी आम हड़ताल के समर्थन में था, जिसे देशभर के सभी ट्रेड यूनियन नई श्रम नीति के विरोध में आयोजित कर रहे हैं।

रामगढ़वा रेलवे स्टेशन के समीप से शुरू हुई इस रैली का नेतृत्व यूनियन के केंद्रीय/जोनल जॉइंट सेक्रेटरी रत्नेश वर्मा ने किया। उन्होंने रैली में उपस्थित सभी सदस्यों को संबोधित करते हुए मजदूरों की दयनीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की। वर्मा ने कहा कि कई ठेका मजदूरों को आज भी न्यूनतम मजदूरी तक नहीं मिल पा रही है, जिससे उनके जीवन-यापन में भारी कठिनाई आ रही है।

प्रमुख मांगें और ज्वलंत मुद्दे

रत्नेश वर्मा ने केंद्र सरकार से कई प्रमुख मुद्दों पर अपनी मांगें स्पष्ट रूप से रखीं। उनकी मुख्य मांगों में नई श्रम नीति की तत्काल वापसी शामिल थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 29 श्रम संहिताओं को हटाकर केवल 04 लेबर कोड लागू करना मजदूरों के हितों पर सीधा कुठाराघात है और यह श्रमिकों के अधिकारों का हनन है। इसके अतिरिक्त, यूनियन ने रेलवे कर्मचारियों पर जबरदस्ती थोपे जा रहे निजीकरण और निगमीकरण का भी पुरजोर विरोध किया। एक और महत्वपूर्ण मांग पुरानी पेंशन प्रणाली (OPS) की बहाली थी, जिसमें NPS और UPS को हटाकर OPS को पुनः लागू करने की मांग की गई।

वर्मा ने 55/30 सर्विस रिव्यू पॉलिसी को भी कर्मचारी विरोधी बताया और इसका तीव्र विरोध किया। उन्होंने 14/2 काला कानून की भी निंदा की, जिसे उन्होंने कर्मचारियों के लिए अहितकर बताया। सिग्नल विभाग में व्याप्त 'बंधुआ मजदूरी' की प्रथा को समाप्त करने की मांग करते हुए, उन्होंने सिग्नल आर्टिज़न स्टाफ के लिए 24 घंटे की ड्यूटी का सख्त विरोध किया। साथ ही, उन्होंने महिलाओं को जबरदस्ती नाइट ड्यूटी में भेजने के खिलाफ भी आंदोलन की बात कही, इसे महिला कर्मचारियों के साथ अन्याय बताया।

कर्मचारियों की समस्याएँ और चेतावनी

श्री वर्मा ने यह भी बताया कि पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से चार नए श्रम कानून बनाए गए हैं, जो श्रमिकों के अधिकारों का हनन करते हैं। उन्होंने 2016 में आनन-फानन में रेल बजट को बंद करने पर भी सवाल उठाए, जो 1924 से लगातार लागू था और रेलवे कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज था।

ECREU दरभंगा शाखा के अध्यक्ष लालबाबू पासवान ने अपनी बात रखते हुए स्पष्ट किया, "हमें एकमात्र पुरानी पेंशन प्रणाली यानि O.P.S. से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। पूरे देश की पेंशन प्रणाली एक ही होनी चाहिए।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली की बहाली अत्यंत आवश्यक है।

दरभंगा शाखा सचिव राकेश पासवान ने रेलवे में कर्मचारियों की भारी कमी के गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों की कमी के कारण अत्यधिक कार्यभार है, जिससे लगातार "रन-ओवर" (दुर्घटनाएं) हो रही हैं और परिचालन सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। पासवान ने सभी रेलकर्मियों को जीवन रक्षक यंत्र और एक करोड़ रुपये का जीवन बीमा प्रदान करने की भी मांग की, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने पॉइंट्स मैन और गेटमैन के लिए 12 घंटे की ड्यूटी, और सिग्नल आर्टिज़न स्टाफ के लिए 24 घंटे की ड्यूटी के अभाव में ड्यूटी रोस्टर की कमी को भी उठाया। उन्होंने BOS (बेस ऑफ स्टाफ) के अनुसार तत्काल भर्ती की वकालत की, ताकि कार्यभार को कम किया जा सके और कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव न पड़े।

आगामी आंदोलन की रूपरेखा

यूनियन ने घोषणा की है कि 9 जुलाई 2025 को ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्प्लांइज यूनियन द्वारा पूरे ECR जोन में बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन और विरोध-प्रदर्शन का कार्यक्रम किया जाएगा। यह आंदोलन नई श्रम नीति, निजीकरण/निगमीकरण, NPS/UPS, 55/30 सर्विस रिव्यू, 14/2 काला कानून, सिग्नल विभाग में चौबीसों घंटे की बंधुआ मजदूरी, और महिलाओं को नाइट ड्यूटी में भेजने के विरोध में केंद्रित होगा।