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लैंसेट की तीन नई रिपोर्ट अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ पूरी मानव शरीर को नुकसान पहुंचा रहे

मुस्कान कुमारी, हेल्थ डेस्क 

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (यूपीएफ) अब सिर्फ मोटापा या डायबिटीज ही नहीं, बल्कि शरीर के हर बड़े अंग तंत्र को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित तीन शोध-पत्रों की श्रृंखला ने यह सनसनीखेज खुलासा किया है कि दुनिया भर में ताजे भोजन की जगह ले रहे ये पैकेटबंद और प्रोसेस्ड उत्पाद गैर-संचारी रोगों का सबसे बड़ा कारण बनते जा रहे हैं।

हर महाद्वीप पर बच्चों से बूढ़ों तक छाया यूपीएफ का कहर

शोधकर्ताओं के अनुसार अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड अब हर महाद्वीप पर बच्चों और वयस्कों के भोजन में तेजी से जगह बना रहे हैं। इनमें चिप्स, कोल्ड ड्रिंक, पैकेटबंद नूडल्स, ब्रेड, बिस्किट, तैयार नाश्ते, फ्रोजन पिज्जा और मीट प्रोडक्ट शामिल हैं। ये उत्पाद न सिर्फ मोटापा और टाइप-2 डायबिटीज बढ़ा रहे हैं, बल्कि हृदय रोग, अवसाद और कई अन्य पुरानी बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ा रहे हैं।

 सदियों पुरानी खान-पान की परंपराएं खत्म हो रही हैं

साओ पाउलो विश्वविद्यालय के पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन विशेषज्ञ प्रोफेसर कार्लोस मोंटेइरो ने चेतावनी दी है कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड पूरी दुनिया में सदियों पुरानी ताजी और कम प्रोसेस्ड खान-पान की परंपराओं को खत्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह बदलाव अब महज व्यक्तिगत पसंद का मामला नहीं रहा। वैश्विक निगमों की मार्केटिंग और उत्पादन रणनीति इसके पीछे सबसे बड़ी ताकत है।”

 नीतिगत हस्तक्षेप की तत्काल जरूरत

लैंसेट की दूसरी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इन खाद्य पदार्थों के उत्पादन, विज्ञापन और बिक्री पर सख्त नियंत्रण जरूरी है। तीसरी रिपोर्ट ने साफ कहा कि व्यक्तिगत चुनाव से ज्यादा वैश्विक खाद्य कंपनियों की रणनीति इसके लिए जिम्मेदार है। विशेषज्ञों ने सरकारों से तुरंत नीतियां बनाने और ताजे व कम प्रोसेस्ड भोजन की पहुंच बढ़ाने की मांग की है।

विशेषज्ञों ने भी माना – और शोध की जरूरत

जिन वैज्ञानिकों ने इस शोध में हिस्सा नहीं लिया, उन्होंने भी इसे महत्वपूर्ण बताया, लेकिन चेताया कि अभी सह-संबंध (association) को पूरी तरह कारण (causation) मानने में सावधानी बरतनी चाहिए। फिर भी ज्यादातर विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से बढ़ता खतरा अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।