
नेशनल डेस्क, श्रेयांश पराशर |
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को वापस लेने और चुनावों में मतों की चोरी के आरोपों को लेकर विपक्षी दलों ने लोकसभा में जमकर हंगामा किया। हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही को बार-बार बाधित करना पड़ा और अंततः दोपहर तीन बजे तक स्थगित करना पड़ा।
लोकसभा में आज का सत्र विपक्षी दलों के भारी हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्षी सदस्यों ने बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को वापस लेने और चुनावों में मतों की चोरी के आरोपों को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। सदन में बार-बार नारेबाजी और शोरगुल के बीच कार्यवाही को पहले बारह बजे और फिर दोपहर तीन बजे तक स्थगित करना पड़ा।
कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत पद से हटाने का प्रस्ताव पेश किया और इसके लिए तीन सदस्यों की समिति गठित करने की घोषणा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही न्यायाधीश को पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
इस दौरान पीठासीन अधिकारी संध्या राय ने आवश्यक कागजात सभा पटल पर रखे, लेकिन विपक्षी सदस्य लगातार नारेबाजी करते रहे। कई सदस्यों ने ऐसे तख्तियां और टी-शर्ट पहन रखी थीं जिन पर एसआईआर प्रक्रिया के विरोध और मतों की चोरी के आरोपों से जुड़े नारे लिखे थे। बड़ी संख्या में सदस्य नारे लगाते हुए सदन के बीचों-बीच आकर विरोध जताने लगे।
सुबह 11 बजे प्रश्नकाल शुरू होते ही विपक्षी सदस्य एकजुट होकर हंगामा करने लगे। श्री बिरला के बार-बार शांत रहने के अनुरोध के बावजूद विपक्ष पीछे नहीं हटा। नारेबाजी के बीच प्रश्न पूछने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री का नाम पुकारा गया, लेकिन विपक्षी शोर के चलते उनका जवाब सुनाई नहीं दे सका।
लगातार बाधाओं और शोरगुल के चलते, लोकसभा अध्यक्ष को अंततः कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक स्थगित करनी पड़ी। यह घटनाक्रम एक बार फिर संसद में विपक्ष और सरकार के बीच बढ़ते टकराव को उजागर करता है, विशेषकर चुनावी प्रक्रियाओं और पारदर्शिता के मुद्दों पर।