
स्टेट डेस्क, मुस्कान कुमारी |
वैश्य सुरक्षा कानून व आयोग गठन की मांग को लेकर तेजस्वी यादव से मिला गोपालगंज जिला प्रतिनिधिमंडल, नेता प्रतिपक्ष ने दिया आश्वासन - सरकार बनने पर होगा आयोग का गठन
वैश्य समाज की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर एक बार फिर मांग ने जोर पकड़ा है। इसी क्रम में वैश्य युवा वाहिनी का गोपालगंज जिला प्रतिनिधिमंडल बुधवार को बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव से उनके पटना स्थित आवास पर मिला। प्रतिनिधिमंडल ने राज्य में वैश्य सुरक्षा कानून बनाए जाने और वैश्य आयोग के गठन की मांग करते हुए एक विस्तृत मांग-पत्र उन्हें सौंपा।
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मौके पर प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाते हुए कहा कि बिहार में वैश्य आयोग का गठन अब समय की मांग बन चुकी है। उन्होंने कहा कि आगामी मानसून सत्र में बिहार विधानसभा में इस विषय को पूरी गंभीरता से उठाया जाएगा और यदि राज्य में उनकी सरकार बनती है, तो वैश्य आयोग का गठन सुनिश्चित किया जाएगा।
तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि समाज के हर वर्ग को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए और किसी भी समाज को दरकिनार करना लोकतंत्र के मूल भाव के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यदि वैश्य समाज को किसी प्रकार की असुरक्षा की भावना है, तो यह गंभीर विषय है और इसे राजनीतिक स्तर पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
गोपालगंज जिला प्रतिनिधिमंडल में प्रत्युष कुमार प्रवीण, रवि गुप्ता, रमेश गुप्ता, सूरज गुप्ता और आर्यन गुप्ता जैसे प्रमुख युवा नेता शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने तेजस्वी यादव को अवगत कराया कि राज्य में वैश्य समाज के साथ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर उपेक्षा हो रही है, और समाज में लगातार असंतोष बढ़ रहा है। इस कारण राज्य स्तर पर एक स्वायत्त वैश्य आयोग की आवश्यकता महसूस की जा रही है, जो समाज की समस्याओं की पहचान कर उसके समाधान हेतु सिफारिश कर सके।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि वैश्य समाज राज्य के आर्थिक ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन फिर भी उन्हें पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व और संरचनात्मक सुरक्षा नहीं मिल पा रही है। ऐसे में वैश्य सुरक्षा कानून और आयोग का गठन न केवल सामाजिक संतुलन की दिशा में एक कदम होगा, बल्कि इससे समाज में समरसता भी बढ़ेगी।
इस मुलाकात को वैश्य समाज के भीतर सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक हलकों में इसे आगामी विधानसभा चुनावों के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहाँ विभिन्न सामाजिक वर्गों की भागीदारी व संतुलन एक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।