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सोशल मीडिया बैन से भड़की अशांति, नेपाल में हिंसक प्रदर्शन जारी

अंतरराष्ट्रीय डेस्क, प्रीति पायल |

नेपाल में जारी राजनीतिक संकट और सामाजिक अशांति का भारत-नेपाल सीमा पर गहरा प्रभाव पड़ा है, जो भारतीय पर्यटकों और व्यापारिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। यह स्थिति 1 सितंबर से शुरू हुई और तेजी से गंभीर रूप धारण कर चुकी है।

नेपाल सरकार द्वारा 30 अगस्त को "डायरेक्टिव्स फॉर मैनेजिंग द यूज ऑफ सोशल नेटवर्क्स 2023" के अंतर्गत प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाया गया। इस बैन में फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब, एक्स, रेडिट, लिंक्डइन सहित 20 से अधिक प्लेटफॉर्म शामिल थे। मुख्य कारण यह बताया गया कि ये कंपनियां नेपाल के सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकृत नहीं थीं।

युवा वर्ग, विशेषकर 18-25 आयु समूह के लोगों में इस निर्णय से तीव्र नाराजगी फैली। पहले से मौजूद आर्थिक समस्याओं, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों के विरोध में यह बैन आखिरी चिंगारी का काम किया।

प्रारंभिक विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया बैन के खिलाफ था, लेकिन शीघ्र ही यह व्यापक सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें हैं:

  • भ्रष्टाचार पर नियंत्रण
  • सोशल मीडिया प्रतिबंध की समाप्ति
  • पारदर्शी शासन व्यवस्था
  • आर्थिक सुधार

कुछ समूहों द्वारा राजतंत्र की पुनर्स्थापना और हिंदू राष्ट्र की घोषणा की मांग भी की जा रही है।

काठमांडू, दमक, न्यू बनेश्वर, कपिलवस्तु और रूपंडेही में प्रदर्शन हिंसक हो गए। सुरक्षा बलों द्वारा टियर गैस, रबर की गोलियों और कुछ स्थानों पर लाइव राउंड का प्रयोग किया गया। 8 सितंबर तक की रिपोर्ट्स के अनुसार 16-21 लोगों की मौत हो गई और 250-600 से अधिक लोग घायल हुए।

सरकार की प्रतिक्रिया में काठमांडू घाटी में कर्फ्यू, त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बंद, सेना की तैनाती और "शूट एट साइट" के आदेश शामिल हैं। गृह मंत्री का 8 सितंबर को इस्तीफा हो गया। हालांकि 9 सितंबर सुबह सोशल मीडिया बैन हटा लिया गया, प्रदर्शनकारी इसे केवल दिखावा मानते हैं।

भारत-नेपाल की 1,850 किलोमीटर लंबी खुली सीमा गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। मुख्य प्रभावित सीमा चौकियां:
सोनौली-बेलहिया (महाराजगंज, उत्तर प्रदेश): सर्वाधिक व्यस्त क्रॉसिंग पॉइंट पूर्णतः बंद।
ककरहवा (कुशीनगर, उत्तर प्रदेश): पर्यटक और मालवाहक वाहनों के लिए महत्वपूर्ण मार्ग आंशिक रूप से बंद।
रक्सौल (बिहार): व्यापारिक केंद्र में मालवाहक वाहनों को सीमित अनुमति, पर्यटक वाहन प्रतिबंधित।
गौरीफंटा और पीलीभीत-बहराइच: कर्फ्यू और अशांति के कारण सीमित आवाजाही।

सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने 90,000 से अधिक जवानों की अतिरिक्त तैनाती की है। ड्रोन निगरानी, गहन जांच और सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों और बिहार के 7 जिलों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। अनुमानित 3,500-4,000 भारतीय पर्यटक नेपाल में फंसे हुए हैं। अधिकांश काठमांडू, लुम्बिनी, पोखरा और धार्मिक स्थलों पर स्थित हैं। कर्फ्यू के कारण होटलों में रहना मजबूरी बन गई है। भारतीय दूतावास (काठमांडू) ने हेल्पलाइन +977-1-4410900 जारी की है।

नेपाल में भारतीय पर्यटक सबसे बड़ा समूह हैं (सालाना 3 लाख+)। पर्यटन उद्योग जो नेपाल की जीडीपी का 7% योगदान देता है, को भारी नुकसान हो रहा है। भारत-नेपाल द्विपक्षीय व्यापार ($8 बिलियन+) भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विदेश मंत्रालय ने 7 सितंबर को ट्रैवल एडवाइजरी जारी करके भारतीयों से नेपाल यात्रा टालने की सलाह दी है। एसएसबी हेल्पलाइन 1901 भी सक्रिय की गई है। राजनीतिक स्तर पर स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

सोशल मीडिया बैन हटने से कुछ राहत मिली है, लेकिन मूलभूत मुद्दे अनसुलझे हैं। सीमा पर प्रतिबंध 1-2 दिन में शिथिल हो सकते हैं, परंतु कर्फ्यू लंबे समय तक जारी रह सकता है। भारतीय पर्यटकों को स्थिति सामान्य होने तक यात्रा टालने की सलाह दी जा रही है।

यह संकट 2006-08 के बाद नेपाल में सबसे बड़ा जन आंदोलन है और इसके भारत-नेपाल संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं।