
लोकल डेस्क, एन.के. सिंह |
स्कूल की आड़ में चलता था 'डिजिटल अरेस्ट' गिरोह, करोड़ों की ठगी और हथियारों का जखीरा बरामद, गिरोह के सरगना को 'BOSS' नाम से पहचाना जाता था, जो कोड 8055 के तहत अपनी पहचान छिपाए हुए था।
साइबर अपराध की दुनिया में एक बड़े गिरोह के पर्दाफाश से मोतिहारी पुलिस ने न केवल जिले में, बल्कि पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर लोगों से लाखों रुपये वसूलने वाले इस गिरोह की कमर तोड़ने में साइबर थाना की टीम को अभूतपूर्व सफलता मिली है। गिरोह के सरगना को 'BOSS' नाम से पहचाना जाता था, जो कोड 8055 के तहत अपनी पहचान छिपाए हुए था, पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी के बाद पूरे नेटवर्क और उनके शातिर तौर-तरीकों की परतें एक-एक कर खुलने लगी हैं।
स्कूल में चलता था काला कारोबार, रात में बनता था साइबर जेल
मोतिहारी के चांदमारी मोहल्ले में स्थित एक स्कूल इस नेटवर्क का मुख्य ठिकाना था। दिन के वक्त यहां सामान्य पढ़ाई होती थी, लेकिन जैसे ही रात ढलती, यही स्कूल साइबर अपराध का अड्डा बन जाता। पुलिस की जांच में सामने आया कि यहां से ठग भोले-भाले लोगों को 'डिजिटल अरेस्ट' का डर दिखाकर मोटी रकम ऐंठते थे। स्कूल का उपयोग सिर्फ आवरण के तौर पर किया जाता था ताकि किसी को शक न हो।
छापेमारी में उभरा चौंकाने वाला सच
15 जून की रात मिली गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने स्कूल परिसर में छापा मारा। वहां से 29 लाख 29 हजार 680 रुपये नकद, 99,500 नेपाली मुद्रा, 24 मोबाइल, 7 लैपटॉप, 2 टैब, 2 देशी रिवॉल्वर, 13 जिंदा कारतूस, 3 नोट गिनने की मशीनें, 16 पासबुक, 49 एटीएम कार्ड, 37 चेकबुक और एक लेन-देन से भरी डायरी बरामद हुई। इस गिरफ्तारी के बाद यह स्पष्ट हो गया कि यह गिरोह कितनी गहराई तक जुड़ा हुआ था।
ब्लैक मनी को व्हाइट बनाने की रणनीति
गिरोह की सबसे खतरनाक चाल यह थी कि वो ठगी की रकम को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करके फिर उसे निकालते और क्रिप्टोकरेंसी में बदल देते थे। इस रणनीति के जरिए वे ट्रैकिंग से बच जाते और आसानी से रकम को देश के बाहर भेज पाते।
8055 – एक कोड, एक पहचान
गिरोह के सदस्यों की गाड़ियों पर '8055' अंक की नंबर प्लेट होती थी, जो 'BOSS' शब्द को डिजिटल रूप में दर्शाता था। यही उनका कोड नाम था और यही पहचान भी।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच में जुटी पुलिस
अब तक पांच आरोपियों... सुमित सौरभ, संजीव कुमार, पप्पु कुमार, सुनील कुमार श्रीवास्तव और दिपांशु पाण्डेय को गिरफ्तार किया जा चुका है। सभी की संलिप्तता पुराने आपराधिक रिकॉर्ड से जुड़ी मिली है। लेकिन इस गिरोह का मास्टरमाइंड सत्यम सौरभ अभी भी फरार है। पुलिस को शक है कि सत्यम अपने साथियों आयुष, यश और अंश के साथ नेपाल व बांग्लादेश के नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।
पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात और साइबर थाना प्रभारी अभिनव पाराशर के नेतृत्व में अब इस गिरोह के अंतरराष्ट्रीय संबंधों की गहन जांच की जा रही है। पुलिस को यह भी इनपुट मिला है कि गिरोह एसबीआई की ढाका शाखा में फर्जी अकाउंट खुलवाकर वहां से पैसा विदेश भेजता था।
इनाम और कार्रवाई
गिरोह के फरार चार सदस्यों पर मोतिहारी पुलिस ने 20-20 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। यह कार्रवाई न सिर्फ साइबर अपराध के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि यह भी साबित करती है कि पुलिस तकनीकी अपराधों से निपटने में कितनी गंभीर और सक्षम है।