
स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |
हिमाचल प्रदेश: पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह पर एनएचएआई अधिकारी से बदसलूकी के आरोप में एफआईआर दर्ज
हिमाचल प्रदेश के पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ शिमला जिले में एक साइट निरीक्षण के दौरान भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। शिकायत एनएचएआई के प्रबंधक (तकनीकी) अचल जिंदल द्वारा दर्ज कराई गई है, जिन्होंने 30 जून को भट्टाकुफर इलाके में एक पांच मंजिला इमारत गिरने के बाद निरीक्षण के दौरान मंत्री द्वारा शारीरिक और मौखिक हमला किए जाने का आरोप लगाया है।
इस घटना को लेकर एनएचएआई की ओर से राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की गई है। मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से बातचीत की है। गडकरी ने एक ट्वीट में लिखा, "हिमाचल प्रदेश के पंचायती राज मंत्री और उनके साथियों द्वारा एनएचएआई पीआईयू शिमला के प्रबंधक अचल जिंदल पर किया गया क्रूर हमला बेहद निंदनीय है और यह कानून व्यवस्था का उल्लंघन है। यह हमला न केवल एक लोकसेवक की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालता है बल्कि संस्था की गरिमा को भी नुकसान पहुंचाता है। मैंने इस घटना को गंभीरता से लिया है और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू से बात कर दोषियों पर शीघ्र और उदाहरणात्मक कार्रवाई की मांग की है। जवाबदेही तय होनी चाहिए और न्याय में कोई देरी नहीं होनी चाहिए।"
मुख्यमंत्री सुक्खू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से बात की है और आश्वस्त किया है कि कानून के दायरे में जो भी जरूरी कार्रवाई होगी, उसे किया जाएगा।
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि एनएचएआई के अधिकारियों के साथ प्रदेश के मंत्री द्वारा प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में की गई मारपीट बेहद शर्मनाक है। उन्होंने आरोप लगाया कि दो अधिकारियों को मंत्री और पुलिस की उपस्थिति में बुलाया गया और मीडिया के लोगों को धमकाकर उनके कैमरे बंद करवाए गए। इसके बाद अधिकारियों को कमरे में बंद कर पीटा गया और कमरे से बाहर भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया, यहां तक कि उन पर गमले तक फेंके गए। दोनों अधिकारी गंभीर रूप से घायल हुए और किसी तरह मीडिया की मदद से वहां से भागकर जान बचाई। अब वे आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती हैं।
ठाकुर ने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि वहां मौजूद एसडीएम और पुलिस ने न तो बीच बचाव किया और न ही घायलों को अस्पताल पहुंचाया। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि कानून हाथ में लेने वाले मंत्री के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और उन्हें मंत्री पद से हटाया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस तरह की अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।