
एजुकेशन डेस्क, मुस्कान कुमारी |
एनटीए का बड़ा फैसला: जेईई, नीट और सीयूईटी 2026 में एग्जाम सिटी चुनने की आजादी खत्म, आधार कार्ड से तय होगा सेंटर
नई दिल्ली: राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने जेईई मेन, नीट और सीयूईटी यूजी जैसी प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं के लिए नया नियम लागू करने का ऐलान किया है। 2026-27 सत्र से उम्मीदवारों को अपनी पसंद की एग्जाम सिटी चुनने का अधिकार नहीं मिलेगा। अब परीक्षा केंद्र आधार कार्ड वाले पते के आसपास ही आवंटित होगा। यह बदलाव पारदर्शिता बढ़ाने, निष्पक्षता सुनिश्चित करने और अनुचित प्रथाओं पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाया गया है। लाखों छात्रों की तैयारी पर इसका सीधा असर पड़ेगा, खासकर उन पर जो शहर बदल चुके हैं।
एनटीए के इस फैसले से छात्रों में हड़कंप मच गया है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के दौरान अब तीन-चार सेंटर्स चुनने की सुविधा खत्म हो जाएगी। एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड में दर्ज पता ही परीक्षा केंद्र तय करने का आधार बनेगा। यदि कोई उम्मीदवार अपना पता अपडेट नहीं करता, तो आवेदन रद्द होने या सेंटर आवंटन में समस्या हो सकती है। यह नियम जनवरी 2026 से शुरू होने वाले जेईई मेन के पहले सत्र से लागू होगा, उसके बाद नीट 2026 और सीयूईटी यूजी पर भी असर दिखेगा।
उम्मीदवारों के लिए चुनौती: यात्रा की मुश्किलें बढ़ेंगी या निष्पक्षता मजबूत होगी?
एनटीए ने कहा कि यह कदम धोखाधड़ी और नकल जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है। पिछले वर्षों में कई मामलों में उम्मीदवारों ने गलत पते देकर सुविधाजनक सेंटर्स चुने थे, जिससे अनुचित लाभ हुआ। अब आधार लिंकिंग से हर छात्र को उसके मूल निवास के नजदीक केंद्र मिलेगा, जिससे ग्रामीण इलाकों के छात्रों को फायदा होगा। लेकिन शहरी छात्र जो पढ़ाई के लिए दूसरे शहर चले गए हैं, उनके लिए यह परेशानी का सबब बन सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे प्रतियोगिता का स्तर और बराबर होगा, लेकिन लाखों छात्रों को आधार अपडेट कराने की होड़ लग जाएगी।
एनटीए की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, आवेदन भरते समय आधार कार्ड का पता ही वैलिड माना जाएगा। यदि नाम, जन्मतिथि या अन्य डिटेल्स में कोई गड़बड़ी है, तो तुरंत यूआईडीएआई सेंटर जाकर सुधार कराना पड़ेगा। एक बार फॉर्म सबमिट होने के बाद एडिटिंग की गुंजाइश नहीं बचेगी। छोटी-सी स्पेलिंग मिस्टेक भी आवेदन रद्द करा सकती है। छात्रों को सलाह दी गई है कि रजिस्ट्रेशन शुरू होने से पहले ही सभी दस्तावेज चेक कर लें।
आरक्षित वर्ग के छात्र सतर्क: सर्टिफिकेट में मिसमैच तो फायदा छिन जाएगा
यह बदलाव आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए और सख्त है। ईडब्ल्यूएस, ओबीसी, एससी, एसटी और पीडब्ल्यूडी श्रेणी के छात्रों को सुनिश्चित करना होगा कि उनके जाति प्रमाणपत्र, आधार कार्ड और दसवीं की मार्कशीट पर सभी डिटेल्स एक जैसी हों। एनटीए ने चेतावनी दी है कि कोई भी विसंगति मिलने पर आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। गलत दस्तावेज जमा करने पर न सिर्फ क्लेम रिजेक्ट होगा, बल्कि परीक्षा में बैठने का मौका भी छिन सकता है।
एजेंसी के अधिकारियों ने कहा, "हमारा मकसद हर छात्र को समान अवसर देना है। दस्तावेजों में एकरूपता न होने से सिस्टम में खलल पड़ता है।" यह नियम सभी श्रेणियों पर लागू होगा, लेकिन आरक्षित वर्ग के लिए अतिरिक्त सलाह जारी की गई है। यदि प्रमाणपत्र पुराना है या नाम में फर्क है, तो तत्काल सुधार कराएं। अन्यथा, 2026 की परीक्षाओं में बड़ा नुकसान हो सकता है।
एनटीए ने छात्रों की चिंताओं को दूर करने के लिए प्री-रजिस्ट्रेशन कैंपेन शुरू करने का संकेत दिया है। जेईई, नीट और सीयूईटी की वेबसाइट्स पर गाइडलाइंस अपलोड कर दी गई हैं। उम्मीदवारों को सलाह है कि आधार अपडेट के लिए नजदीकी केंद्र जाएं, क्योंकि ऑनलाइन सुधार सीमित हैं। यह बदलाव नेशनल लेवल एंट्रेंस एग्जाम्स की विश्वसनीयता बढ़ाएगा, लेकिन छात्रों को अभी से तैयारी शुरू करनी होगी।
पिछले सत्रों में एग्जाम सिटी चुनने की सुविधा से छात्रों को लचीलापन मिलता था। दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में सेंटर्स की भारी भीड़ होती थी, जबकि छोटे शहरों में खाली रहते थे। अब आधार-बेस्ड अलोकेशन से बैलेंस आएगा। हालांकि, कोविड के बाद कई छात्रों ने शहर बदले हैं, उनके लिए ट्रैवल कॉस्ट बढ़ सकता है। एजुकेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कदम लॉन्ग टर्म में फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि इससे लोकल टैलेंट को प्रमोट मिलेगा।
पारदर्शिता का नया दौर: धोखाधड़ी पर लगाम, लेकिन छात्रों की परेशानी?
एनटीए के इस ऐलान से शिक्षा जगत में बहस छिड़ गई है। कुछ का मानना है कि यह छात्रों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा, तो कुछ इसे स्वागतयोग्य कदम बता रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर लाखों छात्र इन परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं—जेईई में करीब 12 लाख, नीट में 20 लाख से ज्यादा। इतने बड़े स्केल पर सेंटर मैनेजमेंट चुनौतीपूर्ण होता है। आधार लिंकिंग से सिस्टम ऑटोमेटेड हो जाएगा, जिससे मैनुअल इंटरवेंशन कम होगा।
एजेंसी ने स्पष्ट किया कि सेंटर आवंटन में प्रॉक्सिमिटी को प्राथमिकता दी जाएगी। यदि आधार पते पर सेंटर उपलब्ध न हो, तो नजदीकी विकल्प चुना जाएगा। लेकिन कोई गारंटी नहीं कि पसंदीदा शहर मिलेगा। छात्रों को अब फ्लाइट या ट्रेन बुकिंग की प्लानिंग पहले से करनी पड़ेगी। खासकर ग्रामीण छात्रों के लिए यह राहत है, जो पहले दूर-दराज सेंटर्स पर जाना पड़ता था।
इस बदलाव का असर प्राइवेट कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर भी पड़ेगा। दिल्ली-एनसीआर जैसे हब्स में पढ़ने वाले छात्र अब लोकल सेंटर्स पर शिफ्ट हो सकते हैं। कोचिंग वालों को नई स्ट्रैटजी बनानी पड़ेगी। एनटीए ने कहा कि यह नियम सभी नेशनल एंट्रेंस एग्जाम्स पर लागू होगा, जिसमें आगे और बदलाव संभव हैं।
छात्रों की आवाज: अपडेट करो आधार, वरना एग्जाम का सपना टूटेगा
सोशल मीडिया पर छात्रों की प्रतिक्रियाएं उमड़ पड़ी हैं। एक छात्र ने लिखा, "अभी तो शहर बदल लिया, अब वापस जाना पड़ेगा क्या?" वहीं, दूसरे ने कहा, "अच्छा कदम है, अब अमीर-गरीब का फर्क नहीं रहेगा।" एनटीए ने हेल्पलाइन नंबर्स जारी किए हैं, जहां छात्र क्वेरीज क्लियर करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन डेमो लिंक भी लाइव हो गया है, ताकि छात्र प्रैक्टिस कर सकें।
यह फैसला शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम है। लेकिन छात्रों को सलाह है कि दस्तावेजों की जांच अभी शुरू कर दें। जेईई 2026 कोर्स जॉइन करने वाले छात्रों के लिए यह और महत्वपूर्ण है। नीट और सीयूईटी के लाखों अभिभावक भी चिंतित हैं। एजेंसी ने वादा किया है कि स्मूथ प्रोसेस के लिए अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया जाएगा।
एनटीए की यह पहल न सिर्फ एग्जाम सिस्टम को मजबूत करेगी, बल्कि छात्रों में जिम्मेदारी का भाव भी जगाएगी। अब सवाल यह है कि क्या यह बदलाव लक्ष्य हासिल कर पाएगा, या छात्रों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी? समय ही बताएगा।