
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
तीन दिवसीय रूस यात्रा पर रवाना हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर, रणनीतिक साझेदारी को मिलेगी नई दिशा
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर सोमवार को रूस की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रवाना हो गए। यह यात्रा रूस के प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के आमंत्रण पर हो रही है और इसका उद्देश्य भारत-रूस के बीच दशकों पुराने विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देना है।
यात्रा के दौरान जयशंकर मॉस्को में कई महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लेंगे। बुधवार को वे भारत-रूस अंतर-सरकारी व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करेंगे। इसके अलावा वे भारत-रूस व्यापार मंच में भाग लेकर द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के नए अवसरों पर चर्चा करेंगे।
विदेश मंत्री अपनी यात्रा के दौरान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी मुलाकात करेंगे। दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी, तकनीकी विकास और यूक्रेन संकट इस वार्ता के प्रमुख विषयों में शामिल रहेंगे।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस यात्रा का उद्देश्य भारत-रूस संबंधों को वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में नई मजबूती प्रदान करना है। भारत और रूस लंबे समय से रक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोगी रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में यह यात्रा न केवल दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा देगी बल्कि वैश्विक कूटनीतिक समीकरणों पर भी असर डालेगी।
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हमेशा संवाद और कूटनीतिक समाधान का समर्थन किया है। ऐसे में जयशंकर की यह यात्रा उस समय हो रही है जब विश्व राजनीति में नए गठजोड़ बन रहे हैं और भारत अपनी रणनीतिक साझेदारी को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ढालने की कोशिश कर रहा है।
यह यात्रा भारत-रूस संबंधों में ऊर्जा, रक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में बड़े समझौतों का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।