
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर लिस्ट वायरल: शिक्षा विभाग ने जांच के दिए आदेश, दोषियों पर गिर सकती है गाज
बिहार में शिक्षकों के तबादले से जुड़ी 35 पन्नों की एक लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। यह लिस्ट राज्य के विभिन्न जिलों में स्थानांतरित किए गए 26,665 शिक्षकों के विद्यालय आवंटन से संबंधित है। यह पूरा डेटा बिहार सरकार के ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड किया गया था, लेकिन इसके सार्वजनिक डोमेन में आ जाने और लीक होकर वायरल होने से अब शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस मामले में जांच का निर्देश जारी करते हुए यह स्पष्ट किया है कि यह पता लगाया जाएगा कि यह सूची किसने, कहां से और कैसे लीक की। उन्होंने यह भी संकेत दिए हैं कि अगर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की संलिप्तता इस लीक में पाई जाती है, तो उनके खिलाफ निलंबन जैसी कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
गुरुवार को शिक्षा विभाग की ओर से स्थानांतरण श्रेणी 1 से 6 तक के 26,665 शिक्षकों का स्कूल आवंटन किया गया था। यह आवंटन बिहार सरकार के डिजिटल पोर्टल ई-शिक्षा कोष के माध्यम से किया गया, जिसे राज्य सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। लेकिन इसी स्कूल आवंटन से जुड़ी एक विस्तृत सूची अचानक सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसमें शिक्षकों के नाम, स्थानांतरण की जानकारी और नए स्कूल का विवरण था।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह सूची अभी तक आधिकारिक रूप से सार्वजनिक नहीं की गई थी। ऐसे में इसका सोशल मीडिया पर आना एक गंभीर सुरक्षा उल्लंघन माना जा रहा है, जिससे न केवल डेटा प्राइवेसी की चिंता खड़ी हो गई है, बल्कि विभाग की साख भी सवालों के घेरे में आ गई है।
हालांकि विभाग और राज्य सरकार ने अब तक वायरल हुई सूची की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की है, लेकिन लिस्ट के इतने बड़े पैमाने पर प्रसारित हो जाने के बाद विभाग के लिए इसे नज़रअंदाज़ कर पाना मुश्किल हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लिस्ट के 35 से अधिक पेज अलग-अलग सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर घूम रहे हैं।
इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि इस लिस्ट के लीक होने से कुछ शिक्षकों को मानसिक तनाव झेलना पड़ सकता है, क्योंकि उनमें से कई को अभी तक विभाग की ओर से औपचारिक सूचना नहीं मिली है। इससे भ्रम की स्थिति बन रही है कि किस शिक्षक को वास्तव में किस स्कूल में भेजा गया है।
सूत्रों की मानें तो शिक्षा विभाग जल्द ही इस मामले की विस्तृत जांच के लिए एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर सकता है। यह समिति यह पता लगाएगी कि किस स्तर से लीक हुआ और क्या यह कोई आंतरिक साजिश या लापरवाही का मामला है।
शिक्षा विभाग पहले ही साफ कर चुका है कि इस प्रकार की घटनाएं प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर असर डालती हैं और यदि कोई इस प्रक्रिया को जानबूझकर प्रभावित करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।
जांच पूरी होने के बाद विभाग की ओर से दोषी पाए गए अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कार्मिक सेवा शर्तों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई, जिसमें निलंबन, वेतन कटौती, या पदावनति जैसी कार्रवाई हो सकती है, की जाएगी।
शिक्षा विभाग इस मामले को एक संवेदनशील डेटा सुरक्षा उल्लंघन के तौर पर देख रहा है और यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि आगे भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हो।
बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर की लिस्ट का इस तरह वायरल होना प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीर चूक है। हालांकि विभाग ने त्वरित संज्ञान लेते हुए जांच की पहल की है, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकारी डिजिटल पोर्टल्स की साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता को और अधिक मज़बूत करने की आवश्यकता है।