
स्टेट डेस्क, श्रेयांश पराशर |
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में चल रहे संगठनात्मक चुनावों के बीच लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र नामांकन को लेकर सियासत गरमा गई है। विपक्ष ने इस पर कड़ा तंज कसते हुए इसे भ्रष्टाचार की विरासत बताया और तेजस्वी यादव को भी निशाने पर लिया।
राष्ट्रीय जनता दल में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया जारी है। पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भर दिया है, जिससे यह लगभग तय हो गया है कि वह 13वीं बार इस पद पर काबिज होंगे। सोमवार को जब लालू यादव नामांकन भरने पार्टी कार्यालय पहुंचे, तो उनके साथ राबड़ी देवी, मीसा भारती और तेजस्वी यादव समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
इस घटनाक्रम पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि "राजद में अभी लालू जैसा भ्रष्टाचार का मसीहा नहीं है। चारा घोटाले जैसा बड़ा घोटाला किसी और ने नहीं किया। जब तक कोई लालू यादव से बड़ा भ्रष्टाचारी नहीं होगा, तब तक वह राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन सकता।"
नीरज कुमार ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव भी उसी राह पर अग्रसर हैं और यदि वे अपने पिता का रिकॉर्ड तोड़ पाए, तभी अध्यक्ष बन सकेंगे। अन्यथा, लालू यादव ही आजीवन इस पद पर बने रहेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजद में यह पद भ्रष्टाचारियों और अपराधियों के लिए आरक्षित है।
तेजस्वी यादव ने नामांकन को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पार्टी को लालू जी के नेतृत्व में आगामी चुनावों में जीत मिलेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में नामांकन को लेकर खासा उत्साह है। लालू यादव अब तक 12 कार्यकाल पूरे कर चुके हैं और पार्टी की स्थापना के बाद से ही वे इस पद पर बने हुए हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या RJD में नेतृत्व परिवर्तन की कोई गुंजाइश है, या यह पार्टी केवल एक ही परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रहेगी।