
नेशनल डेस्क, आर्या कुमारी |
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पहले ही राकेश किशोर को वकालत से निलंबित किया था। राकेश किशोर ने सीजेआई गवई की कोर्ट में बेंच की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा, "हमारी कार्यकारी समिति ने वकील राकेश किशोर के दुर्व्यवहार की गंभीरता को देखते हुए उनकी सदस्यता जारी रखना गलत होगा। उनका आचरण वकीलों और जजों के बीच आपसी विश्वास और सम्मान को गंभीर आघात पहुँचाने वाला है।"
6 अक्टूबर 2025 की सुबह लगभग 11:35 बजे राकेश किशोर ने कोर्ट नंबर 1 में अपना जूता मुख्य न्यायाधीश की तरफ फेंका। सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें तुरंत हिरासत में लिया, लेकिन आधिकारिक शिकायत न होने के कारण दिल्ली पुलिस ने बाद में छोड़ दिया। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उसी दिन राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से वकालत से निलंबित कर दिया। आदेश में साफ किया गया कि निलंबन के दौरान वे भारत के किसी भी कोर्ट या ट्रिब्यूनल में पेश नहीं हो सकेंगे और उनके आईडी कार्ड व एक्सेस पास निष्क्रिय कर दिए जाएँ ।
राकेश किशोर ने घटना पर कहा कि वह खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फीट की खंडित मूर्ति को रिस्टोर करने की मांग पर सीजेआई गवई की टिप्पणी से नाराज़ थे। सीजेआई ने याचिकाकर्ता को यह कहते हुए सुनवाई से इनकार किया कि यह एएसआई के अधिकार क्षेत्र का मामला है।