
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
डोनाल्ड ट्रंप ने बीच में छोड़ा G7 सम्मेलन, ईरान-इज़रायल तनाव के बीच उठाए रूस और चीन को लेकर सवाल
कनाडा में चल रहे G7 शिखर सम्मेलन के दौरान एक अप्रत्याशित घटनाक्रम देखने को मिला जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक सम्मेलन बीच में छोड़ दिया और तत्काल अमेरिका लौटने का फैसला किया। यह कदम तब उठाया गया जब सम्मेलन अपने निर्णायक दौर में था और विश्व नेताओं के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा चल रही थी, विशेषकर ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात को लेकर।
ट्रंप का अचानक प्रस्थान:
सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने सम्मेलन से बाहर निकलते वक्त कहा:
"मुझे अपने देश की सुरक्षा और मध्य पूर्व की स्थिति को लेकर जरूरी कदम उठाने हैं। जी-7 अब वैश्विक संतुलन नहीं बना पा रहा।"
उनके इस कदम से सम्मेलन में शामिल अन्य राष्ट्राध्यक्षों को आश्चर्य हुआ। हालांकि ट्रंप के प्रवक्ता ने कहा कि उनका जल्दी लौटना "पूर्व-निर्धारित सुरक्षा परामर्श" का हिस्सा है, लेकिन इसकी टाइमिंग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
G7 की अहमियत पर सवाल
ट्रंप ने सम्मेलन में G7 की भूमिका और संरचना पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा:
"जी-7 आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता।"
"2014 में रूस को जी-7 से बाहर करना एक बड़ी रणनीतिक गलती थी, जिससे वैश्विक अस्थिरता बढ़ी।"
"अब वक्त आ गया है कि हम चीन जैसे वैश्विक खिलाड़ी को G7 में शामिल करने पर विचार करें।"
उन्होंने ये बातें ऐसे समय पर कहीं जब यूक्रेन-रूस युद्ध और चीन की वैश्विक बढ़त को लेकर सदस्य देश पहले ही चिंतित हैं।
ईरान-इज़रायल युद्ध पर अमेरिका की रणनीति
ट्रंप की वापसी की बड़ी वजह ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ता तनाव भी मानी जा रही है। ईरान ने हाल ही में इज़रायल के शहरों पर मिसाइल हमले किए हैं, और इज़रायल ने बदले की कार्रवाई की चेतावनी दी है। अमेरिका, जो इज़रायल का प्रमुख सहयोगी है, ऐसे हालात में रणनीतिक निर्णय लेने की स्थिति में है।
ट्रंप ने सम्मेलन में ही कहा था:
"हम अपने सहयोगियों के साथ हैं, लेकिन हमें अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करना चाहिए। मध्य पूर्व में शांति की कुंजी G7 नहीं, बल्कि क्षेत्रीय समझ है।"
अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप के प्रस्थान को "दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन समझने योग्य" कहा।
जर्मन चांसलर ने कहा कि यह वक्त सहयोग और एकजुटता दिखाने का है।
फ्रांस के राष्ट्रपति ने ट्रंप की चीन और रूस को G7 में शामिल करने की बात को खारिज करते हुए कहा कि "G7 लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है, और तानाशाही प्रवृत्तियों को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता।"
G7 सम्मेलन में मुख्य मुद्दे
- ईरान-इज़रायल संघर्ष
- यूक्रेन युद्ध
- जलवायु परिवर्तन नीति
- वैश्विक मंदी और चीन की भूमिका
- रूस और चीन के साथ नीतिगत समीकरण
क्या ट्रंप की वापसी अमेरिका की नई नीति का संकेत है?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के इस कदम से अमेरिका की "अमेरिका फर्स्ट" नीति फिर से उभर सकती है। यदि 2024 के चुनावों के बाद ट्रंप की नीतियां प्रभावी होती हैं, तो अमेरिका G7 जैसे बहुपक्षीय समूहों से दूरी बना सकता है और अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रख सकता है।
ट्रंप की इस अचानक वापसी ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि विश्व राजनीति में अमेरिका की भूमिका और उसकी दिशा किस तरह बदल रही है। G7 जैसे मंचों पर मतभेद, वैश्विक शक्तियों की नई परिभाषाएं और क्षेत्रीय संघर्ष अब भविष्य की विश्व व्यवस्था को गहराई से प्रभावित करेंगे।