Ad Image
PM मोदी ने त्रिनिदाद के पीएम कमला बिसेसर को भेंट की राममंदिर की प्रतिकृति || दिल्ली: आज से RSS के प्रांत प्रचारकों की बैठक, 6 जुलाई को होगी समाप्त || सहरसा: जिला मत्स्य पदाधिकारी को 40 हजार घूस लेते निगरानी ने किया गिरफ्तार || विकासशील देशों को साथ लिए बिना दुनिया की प्रगति नहीं होगी: PM मोदी || संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल कर चुनाव जीतना चाहती भाजपा: पशुपति पारस || मधुबनी: रहिका के अंचलाधिकारी और प्रधान सहायक घूस लेते गिरफ्तार || बिहार: BSF की सपना कुमारी ने विश्व पुलिस गेम्स में जीते 3 पदक || PM मोदी को मिला घाना का राष्ट्रीय सम्मान, राष्ट्रपति जॉन महामा ने किया सम्मानित || एक लाख करोड़ वाली आर डी आई योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी || तेलंगाना : केमिकल फैक्ट्री में धमाका, 8 की मौत और 20 से अधिक घायल

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

G7 क्या है? इतिहास, उद्देश्य और India के संबंध

स्पेशल रिपोर्ट,नीतीश कुमार |

G7 क्या है?
G7, जिसे "ग्रुप ऑफ सेवन" कहा जाता है, सात प्रमुख विकसित और लोकतांत्रिक देशों का एक अंतरराष्ट्रीय समूह है: अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान। यह समूह वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और समन्वित नीतियां बनाने के लिए एक अनौपचारिक मंच के रूप में कार्य करता है। इसका कोई स्थायी सचिवालय या कानूनी ढांचा नहीं है, बल्कि यह वार्षिक शिखर सम्मेलनों और मंत्रिस्तरीय बैठकों के जरिए संचालित होता है।

G7 का इतिहास: कैसे और क्यों बना?
G7 की स्थापना 1975 में हुई थी, जब फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और यूके के नेता फ्रांस के रैंबुइलेट में पहली बार मिले। यह प्रारंभ में G6 था। 1976 में कनाडा के शामिल होने से यह G7 बना। 1998 में रूस के शामिल होने पर इसे G8 कहा गया, लेकिन 2014 में यूक्रेन संकट के बाद रूस को निलंबित कर दिया गया और यह पुनः G7 रह गया।

इसका जन्म 1970 के दशक के आर्थिक संकटों के दौरान हुआ था। जैसे 1973 का तेल संकट, वैश्विक मुद्रास्फीति, और ब्रेटन वुड्स प्रणाली का पतन। इन समस्याओं से निपटने हेतु बड़े देशों को आपसी संवाद की जरूरत महसूस हुई।

G7 के उद्देश्य;
1. आर्थिक समन्वय: मुद्रास्फीति, व्यापार संतुलन, वित्तीय बाजार आदि पर साझा नीतियां बनाना।
2. वैश्विक संकटों का समाधान: तेल संकट, मंदी, महामारी जैसी चुनौतियों से मिलकर निपटना।
3. लोकतंत्र और मुक्त बाजार का समर्थन: समूह लोकतांत्रिक और बाजार आधारित मूल्यों को बढ़ावा देता है।
4. राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग: जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, युद्ध, साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी विचार।


G7 की संरचना और कार्यप्रणाली;
•कोई स्थायी सचिवालय नहीं: यह निर्णय सहमति से लिए जाते हैं।
• वार्षिक शिखर सम्मेलन: हर साल एक सदस्य देश मेजबानी करता है (2024 में इटली, 2025 में कनाडा)।
• मंत्रिस्तरीय बैठकें: विदेश, वित्त, पर्यावरण, स्वास्थ्य जैसे मंत्रालयों के प्रतिनिधि नियमित रूप से मिलते हैं।
• अतिथि देश और संगठन: भारत, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीकी देश और संयुक्त राष्ट्र, IMF जैसे संगठनों को आमंत्रित किया जाता है।


G7 की उपलब्धियां;
1. आर्थिक स्थिरता: 1980 के दशक में वैश्विक मुद्रा और व्यापार संकटों से निपटने में भूमिका।
2. वैश्विक स्वास्थ्य: 2014 के इबोला संकट और COVID-19 महामारी के दौरान समन्वय और वित्तीय सहायता।
3. जलवायु परिवर्तन: पेरिस समझौते और नवीकरणीय ऊर्जा पहलों में योगदान।
4. यूक्रेन युद्ध (2022 से अब तक): यूक्रेन को सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक समर्थन।
5. AI और डिजिटल नीतियां: 2024 के इटली शिखर सम्मेलन में पोप फ्रांसिस ने AI पर ऐतिहासिक भाषण दिया।


G7 की आलोचना;
1. सीमित प्रतिनिधित्व: भारत, चीन, ब्राजील जैसी उभरती शक्तियां इसका हिस्सा नहीं हैं।
2. पश्चिमी वर्चस्व: इसे अक्सर "पश्चिमी शक्तियों का क्लब" कहा जाता है।
3. प्रभावशीलता पर प्रश्न: कई निर्णय प्रतीकात्मक होते हैं, जिनका व्यावहारिक असर सीमित होता है।
4. वैश्विक दक्षिण की चिंता: वैश्विक दक्षिण (Global South) के मुद्दों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता।


भारत और G7
• भारत को हाल के वर्षों में G7 सम्मेलनों में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
• 2023 (जापान) और 2024 (इटली) में भारत ने जलवायु, खाद्य सुरक्षा और डिजिटल सहयोग जैसे विषयों पर भागीदारी की।
• 2025 कनाडा सम्मेलन में भारत की भागीदारी अभी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि भारत-कनाडा के बीच कुछ राजनीतिक तनाव हैं।
• भारत G20 जैसे अन्य मंचों पर G7 देशों के साथ सक्रिय भूमिका निभा रहा है।


G7 भले ही केवल सात देशों का समूह है, लेकिन इसका वैश्विक नीति-निर्माण में बड़ा योगदान है। यह मंच आर्थिक संकटों, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य, सुरक्षा और डिजिटल परिवर्तन जैसे विषयों पर वैश्विक नेतृत्व करता है। हालांकि इसमें सुधार की गुंजाइश है  खासकर प्रतिनिधित्व और समावेशिता के स्तर पर  फिर भी यह मंच आज भी दुनिया की दिशा तय करने वाले प्रमुख मंचों में से एक है।