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IPS पूरन कुमार की मौत रहस्य बना, परिवार पोस्टमॉर्टम पर अड़ा

स्टेट डेस्क, मुस्कान कुमारी |

हरियाणा: पंचकूला के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की संदिग्ध मौत के पांच दिन बाद भी उनका शव पोस्टमॉर्टम के बिना ही पड़ा है। परिवार की कठोर मांगों के आगे सरकार घुटने टेकने को मजबूर नजर आ रही है। सुसाइड की आशंका के बीच दर्ज एफआईआर और एसआईटी जांच ने पूरे प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। रविवार सुबह ही सीनियर आईएएस अधिकारियों की अमनीत पी. कुमार से मुलाकात हुई, जहां परिवार को मनाने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं। क्या यह मामला अब राजनीतिक रंग ले लेगा?

पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपनी कोठी पर खुद को गोली मार ली थी। उनकी आईएएस पत्नी अमनीत पी. कुमार जापान दौरे से लौटने के बाद से ही पोस्टमॉर्टम का विरोध कर रही हैं। परिवार का आरोप है कि अधिकारी की मौत के पीछे सिस्टम की नाकामी और ऊपरी दबाव है। हरियाणा सरकार ने अब तक रोहतक के एसपी समेत कई अधिकारियों पर कार्रवाई की है, लेकिन परिवार की मुख्य मांगें—सभी आरोपी गिरफ्तार हों, सस्पेंड हों, परिवार को स्थायी सुरक्षा मिले और जांच निष्पक्ष हो अभी पूरी नहीं हुईं। कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल बेदी ने कहा, "हम परिवार से लगातार संपर्क में हैं। शाम तक मामला सुलझ सकता है, लेकिन अंतिम संस्कार परिवार की सहमति से ही होगा।"

 परिवार की मांगें: न्याय की आस या सिस्टम पर तंज?

परिवार ने सरकार के सामने चार स्पष्ट शर्तें रखी हैं, जो इस मामले को और जटिल बना रही हैं। पहली, सभी नामजद आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और निलंबन। दूसरी, पत्नी अमनीत और दो बेटियों को जीवन भर की सुरक्षा। तीसरी, परिवार की गरिमा और अधिकारों का पूरा सम्मान। चौथी, पूरे केस की पारदर्शी जांच, जिसमें कोई दखल न हो। इन मांगों के बिना पोस्टमॉर्टम को हरी झंडी नहीं मिलेगी। अमनीत ने कहा, "मेरे पति की मौत कोई हादसा नहीं, यह साजिश है। हम बिना न्याय के आगे नहीं बढ़ेंगे।"

यह विवाद अब सिर्फ एक परिवार की लड़ाई नहीं रह गया। चंडीगढ़ के सेक्टर-11 थाने में 9 अक्टूबर को दर्ज एफआईआर में हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी, डीजीपी शत्रुजीत कपूर समेत 15 अधिकारियों के नाम हैं। आरोप है कि पूरन कुमार को रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया के मामले में दबाव बनाया गया था। 11 अक्टूबर को ही बिजारणिया को हटा दिया गया, लेकिन बिना पोस्टिंग के। कांग्रेस ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किए, जहां नारों से सड़कें गूंजीं। दो मंत्रियों ने अमनीत से मुलाकात की, लेकिन परिवार ने कमेटी गठित कर महापंचायत बुला ली।

टाइमलाइन: पांच दिनों का ड्रामा, जो थमने का नाम नहीं ले रहा

मामला 7 अक्टूबर से शुरू हुआ, जब वाई. पूरन कुमार ने अपनी ही सर्विस रिवॉल्वर से गोली मार ली। घटना की सूचना मिलते ही चंडीगढ़ पुलिस पहुंची, लेकिन शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने की बजाय परिवार के हवाले कर दिया। अगले दिन, 8 अक्टूबर को अमनीत जापान से लौटीं और तुरंत पुलिस को शिकायत दर्ज कराईं। उन्होंने पोस्टमॉर्टम से साफ इनकार कर दिया, कहा— "यह जांच का हिस्सा बनेगा, लेकिन शर्तों पर।"

9 अक्टूबर को हलचल तेज हो गई। सेक्टर-11 थाने में भारी एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें ऊपरी अधिकारियों पर गंभीर इल्जाम लगे। पूरन कुमार की मौत को अब सुसाइड से आगे जोड़कर देखा जा रहा है—क्या यह विभागीय साजिश थी? 10 अक्टूबर को चंडीगढ़ पुलिस ने आईजी पुष्पेंद्र कुमार की अगुवाई में छह सदस्यीय एसआईटी गठित की। जांच का दायरा रोहतक एसपी केस से जुड़ गया, जहां पूरन को कथित रूप से दबाव झेलना पड़ा था।

11 अक्टूबर सबसे व्यस्त दिन रहा। रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया को हटाया गया, लेकिन सरकार ने उन्हें कहीं तैनाती न देकर साफ संदेश दिया। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किए, सड़कों पर न्याय की मांग गूंजी। दो वरिष्ठ मंत्रियों ने अमनीत के सरकारी आवास पर पहुंचकर मनाने की कोशिश की, लेकिन परिवार ने पलटवार किया। उन्होंने अपनी कमेटी बनाई और महापंचायत का ऐलान कर दिया। सोशल मीडिया पर #JusticeForPooranKumar ट्रेंड करने लगा, जहां हजारों लोग सिस्टम की नाकामी पर सवाल उठा रहे हैं।

आज, 12 अक्टूबर को सुबह ही ड्रामा चरम पर पहुंचा। अमनीत के सेक्टर-11 आवास पर दो सीनियर आईएएस अधिकारी पहुंचे। मीटिंग लंबी चली, लेकिन कोई ब्रेकथ्रू नहीं। उधर, चंडीगढ़ की एसएसपी कंवरदीप कौर डॉक्यूमेंट्स लेकर अमनीत के सेक्टर-24 वाले सरकारी बंगले पर गईं। कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल बेदी ने मीडिया से कहा, "परिवार के कहने पर ही एसपी हटाया। हम हर कदम पर उनके साथ हैं। शाम तक अंतिम संस्कार का फैसला हो सकता है।" लेकिन परिवार साफ कह रहा है; बिना मांगें पूरी, कोई समझौता नहीं।

 सिस्टम पर सवाल: क्या बनेगा उदाहरण या दब जाएगा?

यह मामला अब हरियाणा पुलिस और प्रशासन के लिए परीक्षा बन गया है। पूरन कुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारी की मौत पर परिवार का विद्रोह नई बहस छेड़ रहा है—विभागीय दबाव कितना घातक हो सकता है? रोहतक एसपी केस में पूरन की भूमिका क्या थी, जो उन्हें किनारे लगाने पर मजबूर कर दिया? एसआईटी की जांच अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन एफआईआर के नामजद लोग चुप्पी साधे हैं। अमनीत की दो बेटियां भी इस सदमे से जूझ रही हैं, और परिवार की सुरक्षा मांग अब प्राथमिकता बन गई है।

सोशल मीडिया पर बहस तेज है। पूर्व अधिकारी और वकील पूरन की मौत को 'सिस्टम की हत्या' बता रहे हैं। एक पूर्व आईपीएस ने ट्वीट किया, "ऐसे केसों में पारदर्शिता जरूरी, वरना भरोसा टूटेगा।" उधर, सरकार के बचाव में कुछ आवाजें उठ रही हैं कि यह व्यक्तिगत तनाव का मामला है। लेकिन फैक्ट्स कुछ और कहते हैं; पूरन का रोहतक दौरा, वहां का विवाद, और फिर चंडीगढ़ लौटते ही यह कदम। क्या एसआईटी इन सवालों के जवाब दे पाएगी?

परिवार ने महापंचायत बुलाई है, जहां सैकड़ों लोग जुटने की उम्मीद है। अगर शाम तक मांगें न मानी गईं, तो मामला कोर्ट जा सकता है। चंडीगढ़ पुलिस ने कहा, "जांच तेज है, लेकिन परिवार की सहमति बिना आगे नहीं बढ़ेंगे।" पूरन कुमार की मौत ने न सिर्फ हरियाणा, बल्कि पूरे देश के पुलिस महकमे को झकझोर दिया है। क्या यह बदलाव लाएगा, या फिर पुरानी कहानी दोहराएगा?