
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
ईरान और इज़रायल के बीच चल रहा भीषण युद्ध सातवें दिन भी थमता नजर नहीं आ रहा है। गुरुवार को ईरान द्वारा दागी गई मिसाइलों की एक बड़ी बौछार में इज़रायल के बेर्शेबा शहर के एक अस्पताल को निशाना बनाया गया। यह अस्पताल Soroka Medical Centre है, जो क्षेत्र का प्रमुख चिकित्सा केंद्र माना जाता है।
हालांकि ईरान ने यह स्वीकार किया है कि उसका निशाना अस्पताल नहीं, बल्कि उसके पास स्थित एक सैन्य ठिकाना था। फिर भी इस हमले में कई आम नागरिक घायल हुए हैं, और अस्पताल को भी आंशिक क्षति पहुंची है।
क्या हुआ?
ईरान ने गुरुवार को इज़रायल के कई शहरों पर मिसाइल हमले किए, जिनमें तेल अवीव, हाइफा, और बेर्शेबा शामिल हैं।
बेर्शेबा में स्थित Soroka Medical Centre के पास एक मिसाइल गिरने से इमारत हिल गई, कांच टूटे और मरीजों को नीचे के फ्लोर में शिफ्ट करना पड़ा।
इस हमले में दर्जनों लोग घायल हुए, जिनमें मरीज, डॉक्टर और स्थानीय निवासी शामिल हैं।
रक्षा मंत्री का कड़ा बयान
इज़रायल के रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज़ ने गुरुवार को स्वयं Soroka मेडिकल सेंटर का दौरा किया और घायलों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा:
"ईरान के सर्वोच्च नेता को अब और अधिक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यह मानवता पर सीधा हमला है।"
उन्होंने यह भी कहा कि इज़रायल इस हमले का जवाब और भी अधिक कठोरता से देगा।
इज़रायली जवाबी हमला: परमाणु ठिकाने निशाने पर
इज़रायली सेना ने इस हमले के बाद तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए ईरान के कई परमाणु स्थलों को निशाना बनाया। इसमें प्रमुख हैं:
अराक भारी जल रिएक्टर– जो फिलहाल "निष्क्रिय" बताया गया है लेकिन पुनः सक्रिय हो सकता है।
नतांज़ परमाणु सुविधा – जिसे ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम का केंद्र माना जाता है।
इज़रायल ने कहा है कि उनका मकसद ईरान की परमाणु क्षमता को स्थायी रूप से निष्क्रिय करना है।
आम जनता में दहशत
इस ताज़ा हमले के बाद इज़रायल के कई शहरों में नागरिकों को बंकरों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा।
स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
अस्पतालों में इमरजेंसी लागू है।
मिसाइल डिफेंस सिस्टम "आयरन डोम" को पूरी तरह सक्रिय कर दिया गया है।
ईरान और इज़रायल के बीच यह युद्ध अब आम नागरिकों और चिकित्सा संस्थानों को भी प्रभावित करने लगा है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच बढ़ती आक्रामकता अब एक खुले युद्ध का रूप लेती जा रही है। अगर यह स्थिति जल्द नहीं संभली तो इसका असर पूरे मध्य पूर्व और वैश्विक स्थिरता पर गंभीर पड़ेगा।