
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
PM मोदी ने सीवान रैली से उपेंद्र कुशवाहा को दिया भरोसा, RLM में लौटी राहत की सांस; आरजेडी-कांग्रेस पर जमकर बरसे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीवान में आयोजित जनसभा में एक राजनीतिक संतुलन की झलक देखने को मिली, जब उन्होंने अपने संबोधन में मंच पर मौजूद राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का नाम लेकर बीते कुछ दिनों से उपजे असंतोष को शांत कर दिया। 29 मई को काराकाट लोकसभा क्षेत्र के बिक्रमगंज की रैली में कुशवाहा का नाम न लिए जाने से राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता और कार्यकर्ता नाराज चल रहे थे। लेकिन सीवान की रैली ने एक तरह से इस तनाव को समाप्त कर दिया।
काराकाट के बिक्रमगंज में आयोजित रैली में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से उपेंद्र कुशवाहा का नाम छूट गया था। यह वही मंच था जहां उनके साथ बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल भी मौजूद थे, लेकिन उनका नाम भी नहीं लिया गया। उस समय मंच पर प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों उपमुख्यमंत्री—सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, और कुछ केंद्रीय मंत्रियों का नाम लिया था। इसके बाद से ही राष्ट्रीय लोक मोर्चा में असंतोष का माहौल था, जिसे अब सीवान की रैली से काफी हद तक शांत कर दिया गया है।
सीवान की सभा भी एक सरकारी कार्यक्रम थी, जहां सरकारी प्रोटोकॉल के अनुसार मंच पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, दोनों डिप्टी सीएम और केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति रही। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच पर मौजूद उपेंद्र कुशवाहा और दिलीप जायसवाल का नाम न केवल लिया, बल्कि उन्हें ‘संसद में सहयोगी’ कहकर सम्मानित किया। इससे स्पष्ट संकेत मिला कि NDA गठबंधन में छोटे दलों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में जहां एक ओर सरकार की योजनाओं, विकास कार्यों और उपलब्धियों का बखान किया, वहीं दूसरी ओर विपक्ष पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने विशेष रूप से राजद और कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए उन पर संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर के अपमान का आरोप लगाया।
प्रधानमंत्री नीले रंग का गमछा पहनकर मंच पर पहुंचे थे, जो आम तौर पर दलित समुदाय की पहचान से जुड़ा माना जाता है। उन्होंने कहा; "आरजेडी और कांग्रेस बाबा साहेब की तस्वीर को पैरों में रखती है, जबकि मोदी बाबा साहेब को अपने दिल में रखता है।"
पीएम मोदी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का नाम लिए बिना उन्हें आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि; “बिहार में पोस्टर लगे हैं कि माफी मांगो, लेकिन ये लोग कभी माफी नहीं मांगेंगे। ये खुद को बाबा साहेब से भी बड़ा दिखाना चाहते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अपमान बिहार की जनता कभी नहीं भूलेगी और चुनाव में इसका जवाब देगी। यह टिप्पणी स्पष्ट तौर पर विपक्षी महागठबंधन के खिलाफ एक भावनात्मक अपील थी, खासकर दलित वोट बैंक को साधने के उद्देश्य से।
सीवान रैली का राजनीतिक संदेश स्पष्ट था, एनडीए के सभी घटक दलों को बराबरी का सम्मान और विपक्ष पर दलित समाज के अपमान का आरोप लगाकर भावनात्मक मुद्दों को हवा देना। पीएम मोदी का उपेंद्र कुशवाहा का नाम लेना केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि राजनीतिक संतुलन साधने की एक रणनीतिक चाल मानी जा रही है।
इस रैली ने स्पष्ट कर दिया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी न सिर्फ अपनी उपलब्धियों को लेकर मैदान में उतरेगी, बल्कि विपक्ष के प्रतीकों पर चोट कर सामाजिक समीकरण भी साधेगी।