
स्टेटडेस्क, श्रेयांश पराशर|
बिहार की मसौदा मतदाता सूची पर बवाल, 65 लाख नाम हटाए जाने पर सियासी संग्राम
बिहार में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद चुनाव आयोग द्वारा जारी मसौदा सूची पर विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों ने नामों को बिना उचित सूचना के हटाने का आरोप लगाया है। वहीं चुनाव आयोग ने प्रक्रिया को पारदर्शी बताते हुए सभी दलों को दावा-आपत्ति दर्ज कराने का समय दिया है।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत चुनाव आयोग ने 1 अगस्त 2025 को मसौदा सूची जारी की। आयोग ने कहा कि नाम हटाने या जोड़ने को लेकर दावा और आपत्ति दर्ज कराने के लिए 30 सितंबर तक का समय है। आयोग ने आश्वासन दिया कि बिना उचित कारण किसी भी योग्य मतदाता का नाम नहीं हटाया जाएगा और कोई अपात्र नाम जोड़ा नहीं जाएगा।
अब तक मतदाताओं से सीधे 5,015 आपत्तियां और 27,517 नए नाम जोड़ने के आवेदन प्राप्त हुए हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि दावे और आपत्तियों का निपटारा एक सप्ताह में संबंधित अधिकारी (ईआरओ/एईआरओ) द्वारा किया जाएगा।
हालांकि, विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक का आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए हैं और यह राजनीति से प्रेरित है। संसद में भी इस मुद्दे पर तीखी बहस हो रही है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 9 अगस्त तक जवाब मांगा है, जिसमें आरोप है कि 65 लाख नाम सूची से हटाए गए हैं।
चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों को आवश्यक डेटा साझा किया गया है और यह केवल मसौदा सूची है, अंतिम सूची में सुधार संभव है। फिर भी सवाल बना हुआ है कि कुछ दलों ने अब तक दावा-आपत्ति क्यों नहीं दाखिल किए।
यह मसला आने वाले समय में बिहार की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकता है।