विदेश डेस्क- ऋषि राज
वॉशिंगटन: अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया विभाग की निदेशिका तुलसी गबार्ड ने इस्लामी कट्टर विचारधारा को अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। ‘एमफेस्ट 2025’ सम्मेलन में बोलते हुए तुलसी गबार्ड ने कहा कि इस विचारधारा के प्रसार से स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक मूल्य और सामाजिक सौहार्द को सीधा नुकसान पहुंच रहा है।
तुलसी गबार्ड ने कहा कि इस्लामी कट्टरता का प्रभाव केवल मध्य पूर्व तक सीमित नहीं है, बल्कि यह यूरोप और अमेरिका में भी अलग-अलग रूपों में सामने आ रहा है। उन्होंने जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि क्रिसमस के आसपास सुरक्षा कारणों से वहां कई क्रिसमस बाजार बंद करने पड़े, जो इस खतरे की गंभीरता को दर्शाता है।
उन्होंने अमेरिका के मिशिगन, मिनियापोलिस और मिनेसोटा जैसे राज्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि कुछ स्थानों पर धर्मगुरु सार्वजनिक रूप से कट्टर विचारधारा का प्रचार कर रहे हैं, जिससे युवा वर्ग कट्टरता की ओर आकर्षित हो रहा है। गबार्ड के अनुसार, यह एक दीर्घकालिक सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती बनती जा रही है।
तुलसी गबार्ड ने दावा किया कि वर्ष की शुरुआत में इस्लामी संगठनों की एक बैठक में अमेरिका के कुछ हिस्सों में शरीयत कानून लागू करने की मांग उठी थी। उन्होंने कहा कि ह्यूस्टन जैसे कुछ शहरों में इसे पहले से लागू होने का दावा भी किया जा रहा है। न्यू जर्सी के पैटरसन शहर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां स्वयं को “पहला मुस्लिम नगर” कहे जाने पर गर्व किया जाता है, जो सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देता है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस्लामी कट्टर विचारधारा की मूल समस्या यह है कि इसमें बहुलतावाद और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए कोई स्थान नहीं है। उनके मुताबिक, इस विचारधारा में अल्लाह के अलावा किसी अन्य ईश्वर के अस्तित्व को नकारा जाता है, जिससे विविधता और सह-अस्तित्व की भावना को ठेस पहुंचती है।
तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी समाज से सतर्क रहने की अपील करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के शासन की रक्षा के लिए इस खतरे को समय रहते समझना और उससे निपटना बेहद जरूरी है।







