
लोकल डेस्क, एन.के. सिंह |
पंडित राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर महात्मा गांधी चंपारण आए और यही से पड़ी नींव भारत के पहले सत्याग्रह की।
पूर्वी चंपारण: चंपारण सत्याग्रह के गुमनाम नायक और सूत्रधार पंडित राजकुमार शुक्ल को उनकी जयंती के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। मोतिहारी के गांधी संग्रहालय में आयोजित एक विशेष सभा में पंडित राजकुमार शुक्ल के योगदान को याद किया गया, जिनके अथक प्रयास के कारण ही महात्मा गांधी चंपारण आए और भारत में अपने पहले सत्याग्रह की नींव रखी।
गांधीवादी चिंतक और संग्रहालय के उपाध्यक्ष चंद्रभूषण पांडेय ने सभा की अध्यक्षता करते हुए कहा कि चंपारण में निलहे अंग्रेजों द्वारा किसानों पर हो रहे अत्याचारों और क्रूर "तिनकठिया प्रथा" के शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए ही महात्मा गांधी ने इस भूमि को अपने पहले स्वतंत्रता आंदोलन के लिए चुना। उन्होंने बताया कि उस समय किसानों पर मनगढ़ंत और भारी भरकम टैक्स भी लगाए जाते थे, जिससे उनकी स्थिति दयनीय हो गई थी।
इस अन्याय से परेशान होकर चंपारण के किसानों ने अपनी पीड़ा महात्मा गांधी तक पहुँचाने के लिए पंडित राजकुमार शुक्ल को चुना। शुक्ल जी ने लखनऊ में हुए कांग्रेस अधिवेशन में गांधीजी से मुलाकात की और उनसे बार-बार चंपारण आने का आग्रह किया। उनके दृढ़ निश्चय और बार-बार के बुलावे के बाद, गांधीजी अंततः चंपारण आने के लिए राजी हो गए।
15 अप्रैल 1917 को मोतिहारी पहुँचे गांधीजी ने किसानों पर हो रहे अत्याचारों की जाँच शुरू कर दी। उनकी जाँच से घबराकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें चंपारण छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन गांधीजी ने इस सरकारी आदेश को मानने से इनकार कर दिया। यहीं से भारत में महात्मा गांधी के पहले सत्याग्रह का सफल प्रयोग शुरू हुआ, जिसके दबाव में अंग्रेजों को झुकना पड़ा और सभी तरह के मनगढ़ंत टैक्स वापस लेने पड़े। इस पूरे आंदोलन में पंडित राजकुमार शुक्ल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही।
गांधी संग्रहालय के सचिव विनय कुमार सिंह ने इस अवसर पर कहा कि पंडित राजकुमार शुक्ल का संघर्ष आज भी देश और दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि हम सभी चंपारणवासी उनके योगदान को याद करके गर्व महसूस करते हैं और उनकी जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इस श्रद्धांजलि सभा में समिति के उपाध्यक्ष प्रकाश अस्थाना, सुरेंद्र पांडेय, उप-मेयर डॉ. लालबाबू प्रसाद, विनोद कुमार कुशवाहा, डॉ. आलोक कुमार सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और पंडित राजकुमार शुक्ल के योगदान को याद किया।