
विदेश डेस्क, मुस्कान कुमारी |
गाजा में गहराते मानवीय संकट के बीच, कई महिलाओं ने खुलासा किया है कि स्थानीय पुरुष भोजन, पानी, धन, या नौकरी के बदले यौन संबंधों की मांग कर रहे हैं। युद्ध और विस्थापन ने महिलाओं को इतना कमजोर बना दिया है कि कुछ को डर और मजबूरी में ऐसे प्रस्तावों के सामने झुकना पड़ रहा है। छह महिलाओं ने अपनी आपबीती साझा की, लेकिन डर और सामाजिक कलंक के कारण सभी ने अपनी पहचान गुप्त रखी।
जीवन रक्षक सहायता या जाल?
एक 38 वर्षीय महिला, जो अपने छह बच्चों को पालने के लिए संघर्ष कर रही थी, ने बताया कि उसे एक पुरुष ने नौकरी का वादा किया था। युद्ध शुरू होने के कुछ समय बाद, उसे एक सहायता एजेंसी के साथ छह महीने के अनुबंध की पेशकश की गई। लेकिन जब वह कथित तौर पर अनुबंध पर हस्ताक्षर करने गई, तो उसे एक कार्यालय के बजाय एक खाली अपार्टमेंट में ले जाया गया। वहां, पुरुष ने उससे उसका हिजाब उतारने को कहा और उसकी तारीफ की। महिला ने बताया कि उसने डर के कारण पुरुष की बात मान ली, क्योंकि वह उस जगह से सुरक्षित निकलना चाहती थी। बाद में, उसे 100 शेकेल (लगभग 30 डॉलर) दिए गए और कुछ समय बाद दवाइयां और भोजन का एक डिब्बा भी मिला। लेकिन वादा की गई नौकरी कभी नहीं मिली।
मानवीय संकट में बढ़ता शोषण
गाजा में लगभग दो साल से चल रहे युद्ध और 90% आबादी के विस्थापन ने हालात को और बदतर बना दिया है। भूख और हताशा बढ़ने के साथ, महिलाएं असंभव विकल्पों का सामना कर रही हैं। चार मनोवैज्ञानिकों ने बताया कि उनकी संस्थाएं दर्जनों ऐसे मामलों से निपट रही हैं, जहां कमजोर महिलाओं का यौन शोषण किया गया। कुछ मामलों में, महिलाएं गर्भवती हो गईं। मनोवैज्ञानिकों ने बताया कि कुछ महिलाओं ने पुरुषों की मांगों को स्वीकार किया, जबकि अन्य ने इंकार कर दिया।
महिलाओं ने बताया कि शोषण के प्रस्ताव कभी-कभी स्पष्ट थे, जैसे “मुझे तुम्हें छूने दो,” तो कभी सांस्कृतिक रूप से छिपे हुए, जैसे “मुझसे शादी कर लो” या “कहीं एक साथ चलें।” एक 35 वर्षीय विधवा ने बताया कि एक पुरुष, जो खुद को संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (UNRWA) का कर्मचारी बताता था, ने उससे यौन संबंधों के लिए कहा। उसने इनकार कर दिया और उसका नंबर ब्लॉक कर दिया, लेकिन पुरुष ने अलग-अलग नंबरों से फोन करना जारी रखा।
सहायता प्रक्रिया में खतरा
कई महिलाओं ने बताया कि शोषण की घटनाएं सहायता के लिए पंजीकरण के दौरान हुईं। पुरुषों ने उनका फोन नंबर लिया, जो सहायता प्रक्रिया का हिस्सा था, और बाद में यौन प्रस्तावों के साथ फोन करने लगे। एक महिला ने बताया कि एक पुरुष, जिसने UNRWA के लोगो वाला वाहन चलाया था, ने उसे नौकरी का लालच दिया। बाद में, उसे छह महीने की नौकरी मिली, लेकिन वह पुरुष लगातार यौन प्रस्ताव भेजता रहा। उसने डर के कारण इसकी शिकायत नहीं की, क्योंकि उसे लगता था कि कोई उस पर यकीन नहीं करेगा।
संस्थाओं की चुप्पी और चुनौतियां
महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली स्थानीय संस्था ‘विमेंस अफेयर्स सेंटर’ की निदेशक अमाल सियाम ने बताया कि युद्ध से पहले शोषण की शिकायतें साल में एक या दो बार आती थीं, लेकिन अब इनकी संख्या में भारी वृद्धि हुई है। हालांकि, कई संगठन इस मुद्दे को उजागर करने से बचते हैं, क्योंकि उनका ध्यान इजरायल के हमलों और नाकाबंदी पर केंद्रित है। सियाम ने कहा, “इजरायल की नाकाबंदी और सहायता पर प्रतिबंध महिलाओं को इस स्थिति में धकेल रहे हैं।”
सहायता संगठनों का रुख
संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता संगठनों ने यौन शोषण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की बात कही है। UNRWA की संचार निदेशक जूलियट टौमा ने कहा कि उनकी एजेंसी प्रत्येक शिकायत को गंभीरता से लेती है और इसके लिए सबूत की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, व्यक्तिगत मामलों पर टिप्पणी करने से उन्होंने इनकार कर दिया। प्रोटेक्शन फ्रॉम सेक्सुअल एक्सप्लॉइटेशन एंड अब्यूज (PSEA) नेटवर्क ने बताया कि पिछले साल गाजा में सहायता से जुड़े 18 यौन शोषण के आरोप दर्ज किए गए। लेकिन इन मामलों की जांच और नतीजे सार्वजनिक नहीं किए गए।
महिलाओं की बेबसी
एक 29 वर्षीय मां ने बताया कि एक सहायता कार्यकर्ता ने उसके चार बच्चों के लिए पोषण पूरक के बदले उससे शादी का प्रस्ताव रखा। उसने इनकार कर दिया, लेकिन पुरुष ने अलग-अलग नंबरों से फोन करके अश्लील टिप्पणियां कीं। “मैं अपमानित महसूस करती थी,” उसने कहा। “लेकिन मुझे अपने बच्चों के लिए मदद मांगनी पड़ी। अगर मैं ऐसा नहीं करती, तो कौन करता?”
विस्थापन और सामाजिक दबाव
मनोवैज्ञानिकों ने बताया कि जैसे-जैसे संकट गहराता जा रहा है, विस्थापन और भीड़भाड़ वाले शिविरों में शोषण के मामले बढ़ रहे हैं। कुछ महिलाओं को उनके पतियों द्वारा घर से निकाल दिया गया, जब उन्हें शोषण की घटनाओं का पता चला। गाजा की रूढ़िगत संस्कृति में, विवाह के बाहर यौन संबंधों को गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके कारण पीड़ित महिलाएं अपनी बात सार्वजनिक करने से डरती हैं।