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गोपाल खेमका हत्याकांड: अशोक साह की गिरफ्तारी से उठा राजनीतिक भूचाल

स्टेट डेस्क, मुस्कान कुमारी |

गोपाल खेमका हत्याकांड: अशोक साह की गिरफ्तारी से उठा राजनीतिक भूचाल, सुमन नायक से पुराने संबंध पर बवाल

पटना : बिहार की राजधानी पटना में व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या का मामला अब न सिर्फ आपराधिक, बल्कि राजनीतिक विवाद का रूप भी ले चुका है। इस हत्याकांड में पुलिस ने मुख्य आरोपी उमेश यादव और साजिशकर्ता अशोक कुमार साह को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि हथियार आपूर्ति करने वाला विकास उर्फ राजा पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि अशोक साह कभी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार नायक के मकान में किराएदार था। इस तथ्य ने पूरे मामले को राजनीतिक घेराबंदी में ला खड़ा किया है, जहां जेडीयू ने राजद पर साजिश के आरोप लगाए हैं।

हत्या की सुपारी: खुलती परतें

4 जुलाई की रात करीब 11:40 बजे, गांधी मैदान थाने के पास गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बाइक सवार हमलावरों ने उनके सिर में नजदीक से गोली दागी और फरार हो गए। मामले की जांच में तेजी दिखाते हुए पुलिस ने उमेश यादव को गिरफ्तार किया, जिसने पूछताछ में बताया कि अशोक साह ने 3.5 लाख रुपये की सुपारी दी थी। इसके बाद अशोक को उदयगिरी अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 601 से पकड़ा गया। वहां से पुलिस को हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल, स्कूटी और नकदी बरामद हुई।

सुमन नायक से जुड़ा पहलू

अशोक साह की पहचान एक बिल्डर के रूप में है, जो पहले सरिया व्यवसाय में था। पुलिस की जांच में यह तथ्य सामने आया कि वह एक समय सुमन नायक के पटना स्थित घर में किरायेदार था। सुमन नायक का नाम पहले से ही चारा घोटाला और ‘लैंड फॉर जॉब’ जैसे मामलों में सुर्खियों में रहा है। जेडीयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने इस कड़ी को उजागर करते हुए आरोप लगाया कि यह पूरी घटना राज्य सरकार की छवि खराब करने की विपक्ष की रणनीति हो सकती है।

मालिकाना विवाद या निजी रंजिश?

जांच का रुख यह भी इशारा कर रहा है कि हत्या के पीछे जमीन विवाद या कारोबारी मतभेद कारण हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, अशोक साह और खेमका के बीच पहले कारोबारी संबंध थे जो बाद में विवाद में बदल गए। विशेष रूप से हाजीपुर की 14 बीघा जमीन से जुड़े मतभेदों की जांच हो रही है, जिसे 2018 में खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हत्या से जोड़कर भी देखा जा रहा है। वहीं, बेउर जेल में बंद अपराधी अजय वर्मा का नाम भी इस साजिश से जुड़ता दिख रहा है।

तेजतर्रार पुलिस कार्रवाई

पुलिस ने उमेश यादव की गिरफ्तारी के बाद पीरदमिया घाट पर हथियार सप्लायर राजा के साथ मुठभेड़ की, जिसमें वह मारा गया। इसके बाद बेउर जेल में छापेमारी कर कई मोबाइल फोन और अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं जब्त की गईं। जेल प्रशासन की लापरवाही को लेकर तीन कक्षपाल निलंबित किए गए हैं और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

सियासी आरोप-प्रत्यारोप

राजद ने जेडीयू के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार पर असली दोषियों को बचाने का आरोप लगाया। राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि 48 घंटे बाद भी पुलिस असली मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंची है, और सरकार साजिश की बजाय सियासत कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एनडीए से जुड़े लोगों के नाम सामने आने से ध्यान भटकाया जा रहा है।

प्रशासनिक सतर्कता

घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच की सीधी निगरानी शुरू कर दी है। पटना के एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने आश्वासन दिया कि कारोबारी रंजिश के एंगल पर गंभीरता से जांच की जा रही है और अपराधियों को शीघ्र सजा दिलाने के लिए मजबूत साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। वहीं, डीजीपी विनय कुमार ने मंगलवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में मामले में अहम खुलासों का संकेत दिया है।

राजनीतिक हलचल जारी

हत्याकांड को लेकर बिहार की सियासत में उबाल आ गया है। जेडीयू ने इसे महागठबंधन से जोड़ते हुए साजिश का हिस्सा बताया है, जबकि भाजपा ने पुलिस पर भरोसा जताते हुए 24 घंटे में सच्चाई सामने लाने की बात कही। वहीं, राजद ने कानून-व्यवस्था की नाकामी को उजागर कर सरकार को घेर लिया है।

नजरें डीजीपी की प्रेस वार्ता पर

अब सबकी निगाहें पुलिस की आगामी कार्रवाई और डीजीपी के खुलासों पर टिकी हैं। अशोक साह की गिरफ्तारी और उसके सुमन नायक से पुराने संबंधों ने पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है। पुलिस की जांच से साफ होगा कि हत्या की जड़ें कितनी गहरी हैं — और इसमें कौन-कौन से चेहरे बेनकाब होंगे।