
विदेश डेस्क, ऋषि राज |
अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे टैरिफ वॉर के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बीजिंग को राहत देते हुए 90 दिनों के लिए नए टैरिफ लागू करने का फैसला टाल दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस संबंध में एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत टैरिफ लगाने की मौजूदा समय सीमा को आगे बढ़ा दिया गया है।
चीन को दूसरी बार मिली 90 दिन की राहत
यह दूसरी बार है जब ट्रंप प्रशासन ने चीन को टैरिफ से छूट देने का फैसला किया है। इससे पहले भी 90 दिनों की राहत दी गई थी, जिसकी समय सीमा आज यानी 12 अगस्त को खत्म होनी थी। रॉयटर्स के मुताबिक, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा,"हम देखेंगे क्या होता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि हालिया बातचीत में चीन का रवैया सकारात्मक रहा है और वॉशिंगटन इस सहयोग की सराहना करता है।
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर अप्रैल 2025 में तनाव चरम पर पहुंच गया था। वाशिंगटन ने चीनी उत्पादों पर 145% तक आयात शुल्क बढ़ा दिया था, जिसके जवाब में बीजिंग ने अमेरिकी आयात पर 125% प्रतिशोधी शुल्क लगा दिया। यह टकराव ‘ट्रिपल डिजिट’ टैरिफ वॉर में बदल गया था।
जिनेवा में हुई वार्ता के बाद दोनों देशों ने अस्थायी युद्धविराम पर सहमति जताई थी, जिसके चलते टैरिफ दरें कुछ हद तक कम की गईं। इसके बाद जून में लंदन में हुई बैठक में भी दोनों पक्षों ने तनाव घटाने की कोशिश की।
वर्तमान टैरिफ स्थिति
चीन से अमेरिका आयात पर वर्तमान में कुल 30% टैरिफ लागू है।
- 10% बेस रेट
- 20% अतिरिक्त टैरिफ (फेंटानिल से जुड़े प्रावधानों के तहत फरवरी और मार्च में लगाया गया)
चीन ने भी अपने अमेरिकी आयात पर टैरिफ को 10% तक घटा दिया है, जो पहले प्रतिशोधी कार्रवाई के तहत बढ़ाए गए थे।
12 अगस्त की समय सीमा टली
आज यानी 12 अगस्त को मौजूदा टैरिफ युद्धविराम की समय सीमा समाप्त होने वाली थी। इसके पहले ही ट्रंप प्रशासन ने फैसला लिया कि अगले 90 दिनों तक चीन पर कोई नया टैरिफ लागू नहीं होगा। इस कदम को व्यापारिक जगत ने संभावित समझौते के लिए समय खरीदने के प्रयास के रूप में देखा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस निर्णय से अल्पकालिक तौर पर वैश्विक बाजारों में स्थिरता आ सकती है। हालांकि, असली परीक्षा तब होगी जब 90 दिन बाद अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक समझौते पर ठोस प्रगति सामने आएगी। यदि वार्ता विफल होती है, तो टैरिफ वॉर एक बार फिर भड़क सकता है, जिससे न सिर्फ दोनों देशों बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा।