
स्टेट डेस्क, वेरोनिका राय |
तेजस्वी को चुनाव आयोग का नोटिस: फर्जी EPIC नंबर सरेंडर करने के आदेश, 65 लाख वोटरों के नाम कटने पर उठे सवाल
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को चुनाव आयोग ने एक गंभीर नोटिस भेजते हुए 16 अगस्त 2025 तक कथित फर्जी वोटर आईडी (EPIC नंबर RAB2916120) सरेंडर करने का निर्देश दिया है। आयोग का दावा है कि यह EPIC नंबर उनके रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है और इस तरह का फर्जी दस्तावेज बनाना और उपयोग करना एक कानूनी अपराध है।
चुनाव आयोग द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि तेजस्वी यादव का वास्तविक EPIC नंबर RAB0456228 है, जो मतदान केंद्र संख्या 204, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पुस्तकालय भवन में क्रमांक 416 पर दर्ज है। इसी क्रमांक से BLO द्वारा जमा गणना प्रपत्र में भी यही EPIC नंबर पाया गया है। आयोग का कहना है कि EPIC नंबर RAB2916120, जिसे तेजस्वी ने 2 अगस्त को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाया था, उनके रिकॉर्ड में नहीं है।
2 अगस्त को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने कहा था कि उनका और उनकी पत्नी का नाम वोटर लिस्ट से गायब है। उन्होंने वोटर लिस्ट में नाम खोजने की लाइव प्रक्रिया भी दिखाई, जिसमें “No Records Found” लिखा आया। लेकिन इसके तुरंत बाद पटना के डीएम एस.एन. त्यागराजन ने एक लिस्ट जारी कर तेजस्वी के दावे को गलत बताया। उस लिस्ट में तेजस्वी का नाम, फोटो और EPIC नंबर साफ-साफ दर्ज था।
डीएम ने कहा कि पहले तेजस्वी का नाम मतदान केंद्र संख्या 171 पर क्रम संख्या 481 पर दर्ज था, लेकिन अब उनका नाम मतदान केंद्र संख्या 204 पर क्रमांक 416 पर स्थानांतरित किया गया है।
डीएम की लिस्ट के बाद तेजस्वी ने सवाल उठाया कि EPIC नंबर बिना कारण कैसे बदल सकता है। उन्होंने कहा, “अगर मेरा EPIC नंबर बदल गया है तो और कितने लोगों का बदला होगा? यह एक बड़ी साजिश है वोटरों के नाम हटाने की।”
तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग जानबूझकर धांधली कर रहा है और सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “यह गोदी आयोग बन चुका है। 2 गुजराती जो कहेंगे, वही आयोग करेगा।”
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि बिहार में 65 लाख वोटरों के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से काटे गए हैं। उन्होंने कहा, “हर विधानसभा क्षेत्र से औसतन 20-30 हजार नाम हटाए गए हैं। आयोग ने यह नहीं बताया कि कौन शिफ्ट हुआ, कौन मृत है और किनके नाम दो जगह थे।”
चुनाव आयोग के मुताबिक, इन नामों को हटाने की वजह 22.34 लाख लोगों का निधन, 36.28 लाख का स्थायी स्थानांतरण, और 7.01 लाख का दोहरे पंजीकरण है। लेकिन तेजस्वी का कहना है कि इन आंकड़ों के पीछे कोई ठोस विवरण नहीं दिया गया है और यह पूरी प्रक्रिया राजनीतिक पक्षपात से प्रेरित है।
तेजस्वी का आरोप है कि महागठबंधन के गढ़ वाले इलाकों में वोटरों के नाम सबसे ज्यादा काटे गए हैं। पटना कमिश्नरी के 6 जिलों में 10.42 लाख और मगध प्रमंडल के 5 जिलों में 6.15 लाख वोटरों के नाम हटाए गए। वहीं सीमांचल के मुस्लिम बहुल जिलों किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया और दरभंगा में कुल 9.65 लाख नाम काटे गए हैं।
तेजस्वी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता को चुनौती देते हुए कहा कि अगर आयोग में पारदर्शिता है तो वह बूथ वाइज डेटा सार्वजनिक करे और यह बताए कि जिनका नाम हटा, उसका कारण क्या था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है।
इस पूरे विवाद के केंद्र में एक सवाल है – क्या EPIC नंबर बदल सकता है? और अगर नहीं, तो तेजस्वी यादव का नंबर क्यों और कैसे बदला? इन सवालों ने बिहार की राजनीति में गर्मी ला दी है और चुनावी पारदर्शिता को लेकर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।