
नेशनल डेस्क, श्रेया पांडेय |
बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी चलेगा SIR अभियान; चुनाव आयोग ने दिए तत्काल आदेश, विपक्ष ने जताई आशंका
चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव (जो 2026 तक हो सकते हैं) से पहले Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का आदेश दे दिया है । बिहार में हाल ही में सम्पन्न इस महीने भर चले SIR अभियान से जुड़ी तीखी राजनीतिक नोंक-झोंक और सामाजिक विरोध के बाद पश्चिम बंगाल को अगला लक्ष्य बताया जा रहा है।
चुनाव आयोग ने राज्य निर्वाचन आयुक्त (CEO), मनोज अग्रवाल को निर्देश दिया है कि वह तुरंत बूथ‑स्तर के अधिकारियों (BLOs) और उन‑पर पर्यवेक्षण करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति करें। साथ ही राजनीतिक दलों से बूथ‑स्तरीय एजेंटों (BLAs) की सूची मांगी गई है, ताकि वे हर बूथ‑पर जानकारी दे सकें कि SIR क्या है, इसके उद्देश्य क्या हैं, और इसे कैसे किया जाएगा ।
इस आदेश के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के जिला मजिस्ट्रेटों और वरिष्ठ अधिकारियों की एक विशेष बैठक बुलाई, जिसमें उन्हें DURGA Pooja के समय भी सरकारी योजनाओं की निरंतरता बनाए रखने के निर्देश दिए गए। साथ ही उन्होंने 'Our Neighbourhood, Our Solution' नामक एक नई पहल की घोषणा की, जिसका मकसद चुनावी बूथ स्तर पर शिकायत निवारण और सरकारी सेवाओं को सरलता से उपलब्ध कराना है।
वहीं विपक्ष, विशेषकर TMC की तरफ से इस प्रक्रिया की तीखी आलोचना हो रही है। TMC सांसद सुश्रृता देव ने एक इंटरव्यू में कहा कि SIR को उन्होंने “मैच‑फिक्सिंग” की संज्ञा दी है, क्योंकि मतदाता सूची में जानबूझ कर कटौती की जा रही है, जिससे उनके समर्थक वर्गों का वोटो से वंचित होने का भय है । TMC नेता अभिषेक बनर्जी ने INDIA ब्लॉक की एक बैठक में आरोप लगाया कि SIR के पीछे BJP का उद्देश्य NRC (National Register of Citizens) को गुप्त रूप से लागू करना है, और इसे “बैकडोर NRC” करार दिया ।
इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची प्रक्रिया में डेटा सुरक्षा को लेकर बड़ी समस्या सामने आई है। चुनाव आयोग ने चार अधिकारी – दो EROs और दो AEROs – को निलंबित कर दिया है, आरोप है कि उन्होंने फर्जी मतदाता डेटा दर्ज करने तथा अपने लॉगिन क्रेडेंशियल्स साझा करने जैसी गंभीर गड़बड़ी की है। इनके खिलाफ FIR दर्ज कराने और अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी सिफारिश की गई है ।
चुनाव आयोग की ओर से BLOs और अन्य अधिकारियों को SIR जैसे “विशेष ड्राइव” में शामिल होने पर ₹2,000 अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि और वार्षिक ₹12,000–₹18,000 तक का वेतन देने की घोषणा की गई है, जिसमें SIR की तैयारी और प्रशिक्षण शामिल है
। इसके अतिरिक्त, BLOs और EROs के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी पूरे राज्य में चल रहे हैं ताकि प्रक्रिया सुचारू रूप से हो सके ।
इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक स्तर पर और सुप्रीम कोर्ट में भी हलचल बढ़ा दी है। TMC सांसद महुआ मोइत्रा सहित कई विपक्षी दलों ने SIR के बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों संस्करणों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सी.ओ.डी. कोर्ट ने अब पश्चिम बंगाल की सुनवाई के लिए 12–13 अगस्त की सुनवाई तिथि सूचीबद्ध की है, जिसमें सरकार को कानूनी पक्ष रखने का मौका मिलेगा ।