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मेघालय: प्रकृति, प्रगति और आत्मनिर्भरता की मिसाल

स्टेट डेस्क, श्रेयांश पराशर |
पूर्वोत्तर भारत का खूबसूरत राज्य मेघालय अब केवल प्रकृति की गोद में बसा इलाका नहीं रहा, बल्कि यह आत्मनिर्भरता, विकास और नवाचार की अद्भुत कहानी बन गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मेघालय यात्रा ने इस राज्य की बदलती तस्वीर को उजागर किया है।
‘अबोड ऑफ क्लाउड्स’ यानी बादलों का घर कहे जाने वाला मेघालय आज आत्मनिर्भरता और विकास का जीवंत उदाहरण बन चुका है। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान राज्य में बदलते हालात और स्थानीय लोगों की प्रेरणादायक कहानियों का सजीव चित्रण किया।

उन्होंने बताया कि मेघालय के युवा आज न सिर्फ शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, बल्कि उद्यमिता के क्षेत्र में भी नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं। पीएम-इंटरनशिप स्कीम के तहत प्रशिक्षु युवाओं ने अपने हुनर से न केवल खुद का भविष्य संवारा है, बल्कि राज्य के विकास में भी योगदान दिया है। दीमापुर के एक गिटारवादक नितो एस किहो और इंजीनियरिंग छात्र लालिसेम की सफलता की कहानियां इसी का प्रमाण हैं।

वित्त मंत्री ने शिलांग, गुवाहाटी, री भोई, सोहरा और सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया। शिलांग के वाइड्स लेक में युवा उद्यमी मार्क लेटप्लैंग से हुई मुलाकात और ‘लखपति दीदी’ के रूप में पहचान बनाने वाली स्थानीय महिला की कहानी ने राज्य की आत्मनिर्भरता की गहराई को दर्शाया। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को मिलने वाली डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और वित्तीय सहायता ने उनमें आत्मविश्वास और आर्थिक मजबूती दी है।

वहीं, कृषि के क्षेत्र में भी मेघालय ने नए प्रयोग किए हैं। री भोई जिले में किसानों के उत्पादों की प्रदर्शनी, जैविक हल्दी, अदरक और बांस से बने उत्पादों ने राज्य की परंपरागत कृषि को एक नया बाजार दिया है।

मेघालय का सौंदर्य भी इसमें पीछे नहीं। सीज गांव में जीवित जड़ों से बने 'लिविंग रूट ब्रिज' को यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उमियम झील, सोहरा और वहारू नदी जैसे प्राकृतिक स्थल अब पर्यटन और आजीविका के सशक्त केंद्र बनते जा रहे हैं।

वित्त मंत्री की इस यात्रा ने न केवल मेघालय की तरक्की को दर्शाया, बल्कि यह भी बताया कि भारत का हर कोना 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन के साथ आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रहा है।