
नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार |
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा बनाए गए महागठबंधन ने नौ जुलाई को बिहार बंद और चक्का जाम का ऐलान किया है। इस आंदोलन में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी के भी शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। अगर राहुल गांधी इस चक्का जाम में शिरकत करते हैं, तो यह आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक धार दे सकता है।
महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, जनता दल (सेक्युलर), वाम दलों समेत अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किया जा रहा मतदाता सूची का पुनरीक्षण असंवैधानिक और पक्षपातपूर्ण है। उनका दावा है कि इस प्रक्रिया के जरिए लाखों वोटरों को मतदाता सूची से बाहर किया जा सकता है, जिससे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा।
महागठबंधन का स्पष्ट आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस पूरी प्रक्रिया को चुनाव आयोग के साथ मिलकर प्रभावित कर रही है, ताकि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अपने पक्ष में माहौल तैयार किया जा सके। विपक्ष का कहना है कि यह मतदाता सूची पुनरीक्षण वास्तव में एक “छँटाई अभियान” है, जिसके तहत खास वर्गों और समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है।
इस बीच, कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी चक्का जाम में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह आंदोलन को केवल बिहार तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि इसका संदेश पूरे देश में जाएगा। कांग्रेस पहले ही इस मुद्दे को लोकतंत्र और संविधान की रक्षा से जोड़ चुकी है, और राहुल गांधी इसे लेकर सार्वजनिक मंचों से लगातार बयान देते रहे हैं। उनकी संभावित भागीदारी से यह आंदोलन राजनीतिक रूप से और भी प्रभावशाली बन सकता है।
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि यह केवल बिहार का मामला नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है। उन्होंने सभी सामाजिक संगठनों, छात्र संगठनों और आम जनता से अपील की है कि वे इस चक्का जाम में भाग लें और अपनी आवाज बुलंद करें।
दूसरी ओर, भाजपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह केवल राजनीतिक स्टंट है और विपक्षी दल जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण एक नियमित प्रक्रिया है, जिसे चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से करता है।
अब सबकी निगाहें नौ जुलाई पर टिकी हैं, जब यह देखने को मिलेगा कि विपक्षी एकजुटता क्या रंग लाती है और क्या राहुल गांधी वाकई इस चक्का जाम में शिरकत करते हैं। यदि वह शामिल होते हैं, तो यह भाजपा के खिलाफ विपक्ष की लामबंदी को और मजबूती दे सकता है।