Ad Image
Ad Image
चुनाव आयोग: EPIC नहीं तो 12 वैकल्पिक ID प्रूफ से कर सकेंगे मतदान || बिहार विधानसभा चुनाव 25 : 121 सीट के लिए अधिसूचना जारी || गाजा युद्ध विराम की निगरानी के लिए 200 अमेरिकी सैनिक होंगे तैनात || इजरायल और हमास ने किए गाजा शांति योजना पर हस्ताक्षर: राष्ट्रपति ट्रंप || टाइफून मातमो तूफान को लेकर चीन में ऑरेंज अलर्ट, सेना तैयार || हमास बंधकों को करेगा रिहा, राष्ट्रपति ट्रंप ने गाजा पर बमबारी रोकने को कहा || पहलगाम हमले के बाद पता चला कौन भारत का असली मित्र: मोहन भागवत || भारत के साथ व्यापार असंतुलन कम करने का अपने अधिकारियों को पुतिन का आदेश || मेक्सिको की राष्ट्रपति शीनबाम की इजरायल से अपील, हिरासत में लिए मेक्सिको के नागरिकों को जल्दी रिहा करें || शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र का मिर्जापुर में निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि

The argument in favor of using filler text goes something like this: If you use any real content in the Consulting Process anytime you reach.

  • img
  • img
  • img
  • img
  • img
  • img

Get In Touch

संतोष कुशवाहा का राजनीतिक पलटी, JDU छोड़ RJD में शामिल!

स्टेट डेस्क, प्रीति पायल |

जेडीयू के वरिष्ठ नेता संतोष कुमार कुशवाहा ने आज 10 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3 बजे पटना स्थित राजद मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ली। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव की उपस्थिति में हुए इस कार्यक्रम में कुशवाहा ने अपने हजारों समर्थकों के साथ जेडीयू छोड़ने का निर्णय लिया।

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के इस कुशवाहा-कुर्मी समुदाय के प्रभावशाली नेता ने 2014 और 2019 में जेडीयू टिकट पर सफलता पाई थी। हालांकि 2024 के चुनाव में वे कांग्रेस के पप्पू यादव से 16,000 से अधिक मतों से पराजित हुए थे। जेडीयू में लगातार उपेक्षा और टिकट वितरण में नाराजगी ने उन्हें पार्टी बदलने पर मजबूर किया।

राजद में शामिल होने के बाद कुशवाहा धमदाहा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। यहां उनका मुकाबला नीतीश कुमार की करीबी और वर्तमान मंत्री लेसी सिंह से होगा, जो एक प्रतिष्ठित राजनीतिक द्वंद्व का रूप ले सकता है।

यह निर्णय एनडीए गठबंधन को कमजोर करता है, विशेषकर कोसी क्षेत्र में। राजद को कुशवाहा-कुर्मी समुदाय के मतों का बड़ा स्थानांतरण प्राप्त हो सकता है। सोशल मीडिया पर इस खबर की व्यापक चर्चा हो रही है, जहां विभिन्न समाचार चैनलों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे बिहार राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव बताया है।

लक्ष्मेश्वर राय के बाद यह जेडीयू के लिए दूसरा बड़ा झटका है, जो 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की चुनौतियों को दर्शाता है।