
नेशनल डेस्क, नीतीश कुमार ।
राज्य सभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन ने मंगलवार को सभी दलों के नेताओं के साथ अपनी पहली सर्वदलीय बैठक की, जिसमें सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने पर सहमति बनी। उन्होंने नेताओं से आग्रह किया कि सदन के हर क्षण का उपयोग लोकतंत्र को सशक्त बनाने में किया जाए।
यह बैठक राधाकृष्णन द्वारा उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के पदेन सभापति बनने के बाद आयोजित की गई पहली बैठक थी। इसका उद्देश्य सदन की कार्यवाही को बिना अवरोध के संचालित करने और निर्धारित विषयों पर अधिकतम चर्चा सुनिश्चित करने के लिए नेताओं के सुझाव लेना था।
सभापति के कार्यालय के अनुसार, राधाकृष्णन ने कहा कि संवाद और चर्चा संसदीय लोकतंत्र के मूल स्तंभ हैं। उन्होंने नेताओं से अनुरोध किया कि शून्य काल, प्रश्न काल और विशेष उल्लेख के दौरान जनमहत्व के मुद्दों को उठाने के लिए अधिक समय का उपयोग किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान और सदन की नियमावली संसदीय चर्चा की सीमाओं को निर्धारित करती है।
बैठक को उपयोगी बताते हुए सभापति ने सभी नेताओं का धन्यवाद किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने बताया कि सभी दलों ने सभापति को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया और यह भी कहा कि नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति द्वारा ऐसी बैठक आयोजित करना एक अच्छी परंपरा की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा उठाए गए जनहित के मुद्दों को उचित महत्व देने पर सहमति बनी है और सभापति ने ऐसे विषयों को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पी. संतोष कुमार ने कहा कि बैठक रचनात्मक रही और कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने पर बल दिया गया। तमिल मनीला कांग्रेस (एम) के जी. के. वासन ने भी कहा कि सभापति ने सभी नेताओं की बात ध्यान से सुनी और आशा जताई कि आगामी सत्र से सकारात्मक शुरुआत होगी, विशेषकर प्रश्न काल और शून्य काल में किसी प्रकार की बाधा नहीं होगी।
गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद हुए चुनाव में राधाकृष्णन 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। वे राज्य सभा के आगामी शीतकालीन सत्र में पहली बार सदन की कार्यवाही का संचालन करेंगे। बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और सदन के नेता जे. पी. नड्डा, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, तृणमूल कांग्रेस की सागरिका घोष, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित कई दलों के नेता शामिल हुए।