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गाजा में इजरायली हमले में अल जज़ीरा के 5 पत्रकारों की मौत

विदेश डेस्क, ऋषि राज |

गाजा में इजरायली हमले में अल जज़ीरा के 5 पत्रकारों की मौत, प्रमुख रिपोर्टर अनस अल-शरीफ भी शामिल

गाजा में इजरायल के हवाई हमले में क़तर स्थित समाचार चैनल अल जज़ीरा के पांच पत्रकार मारे गए, जिनमें चैनल के प्रमुख और चर्चित रिपोर्टर अनस अल-शरीफ भी शामिल हैं। यह हमला रविवार (10 अगस्त 2025) को गाजा सिटी में अस्पताल के बाहर पत्रकारों के लिए बनाए गए अस्थायी तंबू पर किया गया। अल जज़ीरा के अनुसार, यह हमला लक्षित था और इसमें उनके दो संवाददाता और तीन कैमरामैन मारे गए।

हमले में मारे गए पत्रकारों के नाम

  • अनस अल-शरीफ (रिपोर्टर)
  • मोहम्मद करीकेह (संवाददाता)
  • इब्राहिम जहीर (कैमरा ऑपरेटर)
  • मोहम्मद नौफाल (कैमरा ऑपरेटर)
  • मोअमेन अलीवा (कैमरा ऑपरेटर)

28 वर्षीय अनस अल-शरीफ गाजा से लगातार रिपोर्टिंग करने वाले, अरबी भाषी दुनिया में अल जज़ीरा के सबसे प्रसिद्ध चेहरों में से एक थे। वे उत्तरी गाजा से युद्ध, मानवीय संकट और नागरिकों की स्थिति पर लगातार लाइव रिपोर्ट और वीडियो भेज रहे थे।

इजरायल का दावा — अल-शरीफ थे “आतंकवादी”

इजरायली रक्षा बल (IDF) ने टेलीग्राम चैनल पर बयान जारी कर पुष्टि की कि यह हमला उन्होंने किया। आईडीएफ ने कहा कि उन्होंने "आतंकवादी अनस अल-शरीफ" को निशाना बनाया, जो "पत्रकार के रूप में सामने आया था" और अल जज़ीरा के लिए काम करता था। इजरायल का दावा है कि अल-शरीफ हमास से जुड़े थे।

हमले से ठीक पहले की गतिविधि

हमले से कुछ घंटे पहले ही, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में गाजा पर नए हमले की मंजूरी का बचाव किया था। इसके तुरंत बाद, अल-शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट करके गाजा सिटी पर "तीव्र और केंद्रित इजरायली बमबारी" का वर्णन किया था और लाइव वीडियो साझा किए थे।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए गठित समिति (CPJ) ने इस घटना पर गहरा आक्रोश जताया और कहा कि वे पत्रकारों की मौत से "स्तब्ध" हैं। जुलाई में भी सीपीजे ने एक बयान जारी करके अल-शरीफ की सुरक्षा की मांग की थी, जब इजरायली सेना के अरबी प्रवक्ता अविचाय अद्राई ने उन पर सोशल मीडिया पर आरोप लगाते हुए उन्हें हमास का सदस्य बताया था।

गाजा में पत्रकारों की स्थिति

गाजा में जारी संघर्ष के दौरान दर्जनों पत्रकार मारे जा चुके हैं। कई अंतरराष्ट्रीय संगठन इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर गंभीर हमला मानते हैं और पत्रकारों को जानबूझकर निशाना बनाए जाने के आरोप लगाते हैं। अल जज़ीरा का कहना है कि उनके कर्मचारियों को बार-बार लक्षित किया जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। यह घटना न केवल पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाती है, बल्कि गाजा में स्वतंत्र रिपोर्टिंग के भविष्य को लेकर भी चिंताएं गहरा देती है।

अल जजीरा ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और इसे पत्रकारों की आवाज दबाने की साजिश बताया है। अनस अल शरीफ अपने चार साथी पत्रकारों और एक सहायक के साथ गाजा शहर के पूर्वी हिस्से में शिफा अस्पताल के पास एक टेंट में थे, जब यह हमला हुआ।

गाजा के अधिकारियों और अल जजीरा के मुताबिक, इस हमले में दो अन्य लोग भी मारे गए। इजरायल की सेना ने दावा किया कि अनस अल शरीफ हमास का एक अहम कमांडर था। वह इजरायली नागरिकों और सैनिकों पर रॉकेट हमलों की योजना बनाता था। 

सेना का कहना है कि उनके पास खुफिया जानकारी और गाजा में मिले दस्तावेज इस बात का सबूत हैं। लेकिन अल जजीरा और फलस्तीनी पत्रकार संगठनों ने इस दावे को खारिज करते हुए इसे बेबुनियाद बताया। अनस अल शरीफ ने अपनी मौत से कुछ मिनट पहले ही X पर पोस्ट किया था कि इजरायल दो घंटे से ज़्यादा समय से गाजा शहर पर ताबड़तोड़ बमबारी कर रहा था।
अल जज़ीरा ने अनस को "गाजा का सबसे नन्हा पत्रकार" बताते हुए कहा कि यह हमला गाजा में सच दिखाने वाली आवाज़ों को खामोश करने की कोशिश है।

हमास ने कहा कि यह हत्या इजरायल की ओर से गाजा में बड़े हमले की शुरुआत हो सकती है। हमास ने बयान में कहा, "पत्रकारों की हत्या और बचे हुए लोगों को डराना, गाजा में इजरायल के बड़े अपराध की राह तैयार कर रहा है।"