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चीन पर बरसे ट्रंप: शी से मिलने की जरूरत नहीं, टैरिफ की चेतावनी

विदेश डेस्क, मुस्कान कुमारी |

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीन पर 'दुष्ट और दुश्मनीपूर्ण' कदम उठाने का आरोप लगाते हुए उसके दुर्लभ मिट्टी तत्वों पर लगाए गए व्यापक निर्यात नियंत्रणों की कड़ी निंदा की। ट्रंप ने चेतावनी दी कि वह चीनी सामानों पर 'भारी टैरिफ वृद्धि' जैसे कड़े कदम उठा सकते हैं, जो वैश्विक व्यापार युद्ध को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है। ट्रुथ सोशल पर पोस्ट के जरिए ट्रंप ने कहा, 'चीन में कुछ बहुत अजीब चीजें हो रही हैं।' उन्होंने जोर देकर कहा कि बीजिंग ने दुनिया भर के देशों को पत्र भेजकर उत्पादन के हर तत्व पर निर्यात नियंत्रण लगाने की योजना की घोषणा की है, जो 'कभी देखा न सुना' है।

ट्रंप का यह बयान तब आया है जब चीन ने गुरुवार को अपने वाणिज्य मंत्रालय के जरिए नई नियमावली जारी की, जिसमें दुर्लभ मिट्टी तत्वों और उनसे बने उत्पादों के निर्यात के लिए विशेष अनुमति अनिवार्य कर दी गई। चीन, जो वैश्विक दुर्लभ मिट्टी उत्पादन और प्रसंस्करण में 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखता है, ने इसे 'राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा' का हवाला देकर उचित ठहराया। ये तत्व रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इन प्रतिबंधों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर गहरा असर पड़ सकता है।

ट्रंप का गुस्सा: एपीईसी शिखर सम्मेलन में मुलाकात पर सवाल

ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्होंने शी जिनपिंग से बात नहीं की है और अब एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) शिखर सम्मेलन में उनसे मिलने का 'कोई कारण नहीं' बचा है, जो इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया के ग्यॉन्गजू में होने वाला है। उन्होंने इन पत्रों को 'खास तौर पर अनुचित' बताते हुए लिखा, 'मैं कभी सोचा भी नहीं था कि बात यहां तक पहुंच जाएगी, लेकिन शायद, सभी चीजों की तरह, समय आ गया है। अंततः, हालांकि यह दर्दनाक हो सकता है, लेकिन अमेरिका के लिए यह बहुत अच्छी बात होगी।' ट्रंप ने दावा किया कि पिछले छह महीनों में बीजिंग के साथ 'बहुत अच्छे' संबंध थे, लेकिन यह कदम 'सच्ची आश्चर्य' पैदा करने वाला है। 'मैं हमेशा महसूस करता था कि वे इंतजार कर रहे थे, और अब, जैसा कि हमेशा होता है, मैं सही साबित हुआ!' उन्होंने लिखा।

ट्रंप ने चीन पर दुनिया को 'बंदी' बनाने का आरोप लगाया, खासकर चुंबकों और अन्य तत्वों पर एकाधिकार स्थापित करने के लिए। उन्होंने कहा, 'चीन को दुनिया को बंधक बनाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि यह उनकी योजना का हिस्सा रहा है।' राष्ट्रपति ने जोर दिया कि वाशिंगटन 'उनके कदम का वित्तीय जवाब' देगा, जिसमें चीनी उत्पादों पर आने वाले टैरिफों में 'भारी वृद्धि' शामिल है। 'हम अभी कई अन्य प्रतिवादों पर भी गंभीरता से विचार कर रहे हैं,' उन्होंने चेतावनी दी।

चीन के नए नियम: रक्षा से इलेक्ट्रॉनिक्स तक, आपूर्ति पर संकट की आशंका

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने गुरुवार को घोषणा की कि दुर्लभ मिट्टी तत्वों या उनमें ट्रेस मात्रा वाले किसी भी उत्पाद के निर्यात के लिए विशेष मंजूरी जरूरी होगी। इस सूची में अब होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम और इटरबियम जैसे पांच नए तत्व जोड़े गए हैं, जिससे नियंत्रित तत्वों की कुल संख्या 17 में से 12 हो गई। इसके अलावा, दुर्लभ मिट्टी खनन, स्मेल्टिंग, रिसाइक्लिंग और चुंबक निर्माण से जुड़ी तकनीकों के निर्यात पर भी सख्ती बरती गई है। विशेष रूप से, विदेशी सेनाओं से जुड़ी कंपनियों को निर्यात लाइसेंस देने में कड़ी जांच होगी, जो अमेरिकी रक्षा क्षेत्र को सीधा निशाना बना सकता है।

ये तत्व स्मार्टफोन से लेकर फाइटर जेट्स तक हर जगह इस्तेमाल होते हैं। चीन की यह कार्रवाई वैश्विक बाजारों को ठप कर सकती है, क्योंकि अमेरिका और अन्य देश अभी इनकी आपूर्ति पर पूरी तरह निर्भर हैं। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि ये नियम 'बिना किसी पूर्व सूचना' के लगाए गए हैं और वैश्विक प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर नियंत्रण हासिल करने का प्रयास हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सेमीकंडक्टर और सैन्य अनुप्रयोगों में देरी हो सकती है, जिसका असर स्टॉक मार्केट पर भी दिखा- वॉल स्ट्रीट सूचकांकों में गिरावट आई।

मध्य पूर्व में शांति के दिन का 'सहवास'? ट्रंप ने उठाए सवाल

ट्रंप ने चीन के ऐलान के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह मध्य पूर्व में 'शांति के दिन' के साथ मेल खाता है। 'मैं सोच रहा हूं कि क्या यह संयोग था?' उन्होंने व्यंग्य किया। उनका इशारा हाल के क्षेत्रीय समझौतों की ओर था, जहां अमेरिका ने मध्यस्थता की। ट्रंप ने दावा किया कि चीन ने 'चुपचाप' इन तत्वों पर एकाधिकार जमा लिया, जो एक 'दुष्ट और दुश्मनीपूर्ण' रणनीति है। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल बाजारों को अवरुद्ध करेगा, बल्कि चीन के लिए भी मुश्किलें पैदा करेगा।

अमेरिका लंबे समय से दुर्लभ मिट्टी पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है। 2010 में चीन ने जापान पर इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था, जिससे सबक लेते हुए वाशिंगटन ने घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। लेकिन अभी भी अमेरिकी कंपनियां, जैसे एमपी मटेरियल्स, चीन पर निर्भर हैं। हाल के महीनों में गैलियम, जर्मेनियम और ग्रेफाइट जैसे अन्य तत्वों पर भी प्रतिबंध लगे, जो व्यापार तनाव को और भड़का रहे हैं। जून में दोनों देशों ने दुर्लभ मिट्टी शिपमेंट पर एक समझौता किया था, लेकिन ट्रंप का कहना है कि बीजिंग ने वादे तोड़े।

ट्रंप का यह बयान अमेरिकी राजनीति में भी हलचल मचा रहा है। विपक्षी नेता इसे 'व्यापार युद्ध का नया दौर' बता रहे हैं, जबकि समर्थक इसे 'चीन के खिलाफ मजबूत रुख' की सराहना कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर, जापान और दक्षिण कोरिया जैसी अर्थव्यवस्थाएं चिंतित हैं, क्योंकि वे भी इन तत्वों पर निर्भर हैं। स्टॉक मार्केट में गिरावट के अलावा, दुर्लभ मिट्टी से जुड़ी अमेरिकी कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव देखा गया।

चीन की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह व्यापार वार्ताओं को पटरी से उतार सकता है। ट्रंप ने कहा, 'अंततः यह अमेरिका के लिए अच्छा होगा,' लेकिन अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि टैरिफ वृद्धि से उपभोक्ता कीमतें बढ़ सकती हैं। एपीईसी सम्मेलन अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां दोनों नेता अगर मिले तो तनाव कम करने का मौका मिल सकता है- या फिर युद्ध और तेज हो सकता है।