
स्टेट डेस्क, नीतीश कुमार |
बिहार बंद: महागठबंधन का विरोध प्रदर्शन, ट्रेनें रोकी गईं, NH-31 जाम, वोटर लिस्ट संशोधन पर उठे सवाल
बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। विधानसभा चुनाव से पहले इस प्रक्रिया पर विरोध जताते हुए महागठबंधन ने बुधवार को बिहार बंद का आह्वान किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी इस प्रदर्शन में शामिल होंगे।
भोजपुर जिले के बिहिया स्टेशन पर पूर्व आरजेडी विधायक भाई दिनेश ने अपने समर्थकों के साथ श्रमजीवी एक्सप्रेस और विभूति एक्सप्रेस को कुछ समय के लिए रोका और नारेबाजी की। तीन मिनट के भीतर ट्रेनें रवाना कर दी गईं। बेगूसराय में आरजेडी कार्यकर्ताओं ने एनएच-31 को अवरुद्ध किया।
जहानाबाद में भी महागठबंधन के नेताओं ने ट्रेनों को रोककर विरोध जताया, हालांकि पुलिस ने थोड़ी देर बाद ट्रैक खाली करवा लिया।
राहुल गांधी सुबह 9:30 बजे इनकम टैक्स गोलंबर से वीरचंद पटेल पथ होते हुए शहीद स्मारक और फिर चुनाव आयोग कार्यालय तक पैदल मार्च करेंगे। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी उनके साथ रहेंगे। पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने बताया कि सचिवालय हॉल्ट स्टेशन पर रेल चक्का जाम किया जाएगा।
तेजस्वी यादव ने दो दिन पहले वोटर लिस्ट संशोधन को "वोटबंदी" बताया था। उन्होंने कहा था कि 6 जुलाई को चुनाव आयोग से मिलने के बावजूद अब तक कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने चुनाव आयोग की तुलना पोस्ट ऑफिस से करते हुए कहा कि यह कोई निर्णय लेने योग्य संस्था नहीं है।
लालू प्रसाद का हमला: दो गुजरातियों पर आरोप;
इस मामले पर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "दो गुजराती मिलकर बिहार के 8 करोड़ लोगों के मताधिकार को छीनने की साजिश कर रहे हैं। इन्हें बिहार, संविधान और लोकतंत्र से नफरत है। अब आवाज उठाने का समय है।"
सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई;
बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन पर 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) ने 5 जुलाई को याचिका दायर कर चुनाव आयोग के आदेश को संविधान और जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन बताया है।
चुनाव आयोग का पक्ष;
आयोग का कहना है कि वेरिफिकेशन प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत ही की जा रही है। किसी वैध मतदाता का नाम नहीं हटेगा। केवल अवैध या फर्जी नाम हटाए जाएंगे।
क्या है चुनाव आयोग का आदेश?
24 जून को आयोग ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि हर मतदाता को व्यक्तिगत गणना फॉर्म भरना होगा। 1987 के बाद जन्मे और 1 जनवरी 2003 के बाद मतदाता सूची में जोड़े गए लोगों को जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट या शिक्षा प्रमाणपत्र के जरिए नागरिकता प्रमाणित करनी होगी।
जुलाई 1987 को कटऑफ तिथि मानते हुए आयोग ने राज्य से बाहर रहने वाले मतदाताओं को भी यह फॉर्म भरने को कहा है। यह फॉर्म 26 जुलाई तक आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड कर भरा जा सकता है।
राजनीतिक विवाद गहराया;
इस विशेष संशोधन प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस, आरजेडी और वाम दलों सहित INDIA गठबंधन ने चुनाव आयोग के आदेश को पक्षपातपूर्ण और संदिग्ध बताया है। वहीं आयोग ने स्पष्ट किया है कि वैध वोटरों के अधिकारों पर कोई आंच नहीं आएगी।